Book Title: Nalayanam
Author(s): Yashovijay
Publisher: Jinshasan Aradhana Trust
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________________ दशमे स्कन्धे सर्गः३ नलस्य दीक्षा, // 186 // शीलादीनां वनवासश्च। FILISEII-IIIIRIESI ISIK महाराज! महाराज! परित्रायस्व मामितः / क्रौञ्चकर्णानुजेनाहं नीये किर्मीरमालिना // 18 // अरण्येऽपि हृता पूर्व न त्वत्पादप्रसादतः / पश्यतोऽपि तवेदानी हाहा ! हरति राक्षसः क्व तत् ते सहजं तेजः ? व तद् दिव्याखवैभवम् ? / त्रातुमाता प्रियां साध्वी प्रसीद सदयो भव // 20 // प्रियापहरणेऽप्युच्चैरुदासीनं नरेश्वरम् / धिग् धिक् कुर्वन्ति हन्त त्वां पश्य पश्य दिवौकसः // 21 // माभूत तव मयि स्नेहो माभूद् द्वेषोऽपि विद्विषि / तथाप्यातपरित्राणं विधातुं न विरुध्यसे // 22 // तव राजन् ! विरोधेन द्रियमाणा विरोधिना / कमन्यमधुना याचे शरणं त्वयि तिष्ठति // 23 // इति शृण्वन् तदाक्रन्दान् अट्टहासांश्च रक्षसः / आशु चुक्षोभ राजर्षिविस्मृतात्मलयो नलः // 24 // उत्पाद्य निकटस्थं द्राक दुमं स नरकुञ्जरः / बभाषे भीमदोस्तम्भः साभिमानमिदं वचः // 25 / / माभी6मोद्भवे ! माभी रेरे तिष्ठ निशाचर ! / दुरात्मन् ! मामनिर्जित्य चौरवत् किं पलायसे? // 26 // इति राजर्षिणाक्षिप्तः स मायामयराक्षसः / विहाय छद्मवैदर्भी युद्धायाभिमुखोऽभवत् // 27 // द्वयोः प्रववृते युद्धं प्रकम्पितधराधवम् / श्वेडानाद जास्फोटबधिरीकृतदिग्मुखम् // 28 // परस्परप्रहाराणां तौ प्रशंसापरौ मिथः / युयुधाते चिरं योधावुत्तरोत्तरवित्रामम् // 29 // ततो राजर्षिणा रोषात् मुष्ट्या मूर्द्धनि ताडितः / पलायते स्म साक्रन्दं स पलादः पुलाकया // 30 // उत्फुल्लबदनाम्भोजा सस्मितं विरिपतेव सा / द्राक् छमदमयन्ती तमालिलिङ्ग च निर्भरम् // 31 // HESIATI II II IISIS // 186 //

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