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कलाकारी
कोई भी कला है तो वह अपने भावों, रागों का
एक न एक माध्यम से प्रदर्शन ही है
यह सारी की सारी कलाएं, गाना, लिखना चित्रकला और भी अनेक कलाएं अपने ही अनेक भावों को अलग अलग माध्यम से दर्शाती है
इसीलिए कलाओं को देखने, सीखने का मन होता है क्योंकि मानव के ही मन से, राग का प्रदर्शन है रागी मानव को उसे देखने, सुनने में अच्छा लगता है ऐसे मानव के भावों को एक नए तरीके से समाया हो इसीलिए कला सभी को पसंद भी आ जाती है
अब यदि मैं आत्मा हूं तो ये शुभाशुभ भाव मुझमें होते हुए मेरे शुभ भावों से तो अलग ही हैं
इन भावों में हंसना है, रोना भी है, मेरे शुद्धभावों
तो एक गंभीर, गहन सुख-शांति का अनुभव है
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