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प्रभु तुझ संग
प्रभु तुझ संग तुझ संग ही मुझे रहना है, इस दुनिया में मेरा कोई घराना नहीं यहां मेरा कोई ठिकाना नहीं, इस दुनिया में मेरा कोई विसामा नहीं
प्रभु तुझ संग तुझ संग ही मुझे रहना है, इस शरीर में मुझे रहना नहीं ये घर मकान मेरा ठिकाना नहीं, परिवार मित्रोंमें मेरा विसामा नहीं
प्रभु तुझ संग तुझ संग ही मुझे रहना है, इस शरीर से मुझे कुछ जानना नहीं इन्द्रियोंसे मुझे कुछ पहचानना नहीं, अतीन्द्रिय ज्ञानका तो ज्ञायक तू
प्रभु तुझ संग तुझ संग ही मुझे रहना है, दुनियाके दु:ख सुख मेरे नहीं शुभ अशुभ भाव भी मेरे नहीं, शुद्ध निर्मल आनंदका तो आनंदी तू
प्रभु तुझ संग तुझ संग ही मुझे रहना है
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