________________
-
उसने पुकारा मुनि को, और महावीर आ पहुंचे आकर भी फिर लौटे, तब वह हो गईं भाव विभोर और उसने स्व को पा लिया, परिभ्रमण का नाश किया तो फिर महावीर के जैनों कर्मों का उदय तो होगा ही
अच्छे होंगे, बुरे होंगे, कैसे भी वे तो होंगे ही न भूलना महावीर को, न भूलना जिनवाणी को याद कर लो महावीर को, भावों में बसा लो जिनवाणी को तभी तुम तैर पाओगे, परिभ्रमण को कम कर पाओगे
कर्मों से न डरो, और न ही फंसो अनुकूलताओं में तुम तो बस भज लो, बसा लो महावीर को स्व में व आत्मा में डूब जाओ, स्व को अंधियारे से हटाओ और उस उषा की लालिमा, सदैव के लिए लाकर इन दुखों को, परिभ्रमण को, सदा के लिए खत्म करो.
***
35