Book Title: Mantraraj Rahasyam
Author(s): Sinhtilaksuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 37
________________ २६९ मन्त्रराजरहस्यम् । [२७ एए चउवीसपया नायव्वा परमसरिमंतम्मि । मायावन्नविरहिए नूणं सुमरिजए निचं ॥ "सन्वेसिं एएसि किच्चा अहं नमोकारं । जमियं विजं पउंजामि सा मे विज्जा 'पसिझउ स्वाहा ॥" नवे-दर्श -शून्यकाको गांव-भय-शैलतः पदाष्टकजाः। वर्णा द्विनेगा एकादशपद्यां स्युनवैतिवर्णाः॥ २७० नन्दादि-रवि-नाष्टकमिति पञ्चपदेषु गुण-युगा वर्णाः। मणवा जिनमोः शेपाः पदवर्णाः शशि-गुणप्रमिताः ॥ . २७१ सर्वाक्षरसंयोगाद् द्विशती पटेयधिकाः श्लोकाः। चतुरक्षराधिकाष्टावाधप्रस्थानके ज्ञेयाः ।। २७२ "पणवो नमो भगवो वाहुवलिस्सेह पम्पसमणस्स । न वग्गु वग्गु निवग्गु सुमण-सोमणसे महुमहुरे स्वाहा ।" २७३ ज्या-रस-पंञ्च-पांवक- गुंण-युग- भूताक्षरैः पयोधि-गुणाः।। वर्णा द्विपस्थाने देवी स्वप्नादिकं प्राग्वत् ॥ "इरिकाली किरिकाली पिरिकाली हिरि य कालि मरु-गयणं ।" तइयं पत्थाणमिणं अहौरस अक्खरा तत्थ ॥ २७५ 'इरियाए किरियाए पिरियाए सिरियाए तह य हिरियाए । कालि-महाकालि' तुरियं उपविजा अक्सराइ छब्बीसं ॥ २७६ 'पणवो किरिकिरिकालि पिरिपिरि सिरसिरि हिरिहिरि आयरियकालि । मरुयं गयणं' मंडलपी बन्ना य तेतीसं॥ २७७ किरिकिरि पिरिपिरि उ सिरिसिरि हिरिहिरि आयरिय।" दुगुणमेरु इह मंते इंगवीसवन्ना एवं छपत्याणा ।। २७८ पञ्चमस्थानाक्षरयुग-गुण-भूमिर्द्विगुणपदकवर्णाः । युक्ताः श्लोकाः पञ्चाधिरुदग-हस्त्येकवर्णमिति ॥ २७९ । पीयउ J1 2 काली गिरि ।। 3 तितोसे । । २७४

Loading...

Page Navigation
1 ... 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156