Book Title: Mantraraj Rahasyam
Author(s): Sinhtilaksuri, Jinvijay
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ [४९ ४८७ मन्त्रराजरहस्यम् । 'ॐ ही जिणाणं' ओहिजिणे परमोहिजिणे । तहणंतोहिनिणाणं अणंतणंतोहि य जिणाणं॥ 'सामनकेवलीणं भवाभवत्थाइकेवलिणों। कुट्ठाईबुद्धीर्ण पयाणुसारी" संभिन्नसोयाणं" ॥ 'उग्गतवचरणचारी" चउदसपुची" य दसपुची । इक्कारस अंगीणं" मुयकेवलिणो" एएसि सन्वेसि ।। इच्चाई पुचि पिच मरु नह अन्त' पढमपीठम् ।। ॥ इति प्रथमपीठम् ।। ४८८ ४८९ ४९० ४९२ ४९३ "ॐ ह्रीं नमो भगवो बाहुवलिस्सेह पंण्डसमणस्स । मंहपलाइमसमणस्स सँयवलाइमवीरियस्स ।। "तह मेंहवलस्स जोही परकमस्स य संहस्समल्लस्स । तह महबाहुस्स महावलपुरओ विक्कमस्से य ॥" "वेग्गुं वग्गुं च महावग्गु निर्वग्गु य सुवग्गुजुयलं च । दुनिवग्गु वागुरिए महावागुरिए य विनेया । "भांगुरिए महाभागुरिए मोहरिए तह महाइमोहरिए । सँसुमणसे सोमणसे महुमहुरे” दुईयपत्थाणं ॥ ॥ इति द्वितीयपीठम् ।। 'ॐ ह्रीं इरियाइ महाईरिया किरिया महाकिरियाई । गिरियाइ महागिरिया पिरियाइ महापिरियाई ॥ 'सिरियाइ महासिरिया 'हिरियाइ तह मंहाइहिरियाई। आयरियाई इरिकाली "किरिकाली तह य "गिरिकाली ॥ 'पिरिकाली "सिरिकाली "हिरिकाली औयरियजुया काली। कालीकाली य महाकाली' तईयं तु पीढमिणं ॥ ॥ इति तृतीयपीठम् ।। ४९४ ४९५ ४९६

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156