Book Title: Mahavira Jayanti Smarika 1964
Author(s): Chainsukhdas Nyayatirth
Publisher: Rajasthan Jain Sabha Jaipur

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Page 11
________________ 10 यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता है कि गत वर्षों की भांति इस वर्ष भी भगवान महावीर को पुनीत जयन्ती समारोह पर श्री महावीर जयन्ती स्मारिका प्रकाशित होने जा रही है । यह एक आदर्श और जनोपयोगी प्रयास है। इससे न केवल जैन धर्मावलम्बी ही लाभान्वित होंगे वरन इससे समूचे समाज को जैन धर्म के तत्त्व और मर्म को समझने में सहायता मिलेगी। भगवान महावीर का जीवन और उनकी शिक्षाएं समस्त मानव के उत्थान के लिये एक खुला पृष्ठ है जो मानव समाज का मार्ग प्रशस्त करने में सदा सहायक रहा है और अनन्तकाल तक रहेगा। भगवान महावीर केवल एक समुदाय विशेष के श्राराध्य नहीं हैं वरन समूचे पूर्ण विकसित मानव समाज, मानव धर्म के प्रतीक हैं जो सत्य अहिंसा पर आधारित है। यह एक और हर्ष की बात है कि इस ग्रन्थ का संकलन और प्रकाशन एक उच्चकोटि के विद्वान पं० चैनसुखदास न्याय तीर्थ कर रहे हैं। मुझे आशा ही नहीं वरन विश्वास है कि इस ग्रन्थ में पर्याप्त पठनीय और उपयोगी साहित्य रहेगा जो मानव समाज को पर्याप्त प्रेरणा देकर उनका मार्ग प्रशस्त करता रहेगा । मैं श्री महावीर जयन्ती स्मारिका की सफलता की हृदय से कामना करता हूँ । मिश्रीलाल गंगवाल योजना तथा विकास मन्त्री, मध्यप्रदेश भोपाल मुझे यह जानकर प्रसन्नता है कि मानव जाति के परमोद्धारक श्री महावीर स्वामी की जयन्ती सदा को भांति इस वर्ष भी राजस्थान जैन सभा द्वारा अप्रैल मास में मनाई जा रही है । महावीर जयन्ती के इस पावन पर्व पर जयन्ती स्मारिका के रूप में जो उपहार ग्रंथ प्रकाशित किया जा रहा है वह एक स्तुत्य प्रयास है । भगवान महावीर जी ने आज से २५६१ वर्ष पूर्व समाज में व्यापक रूढिवादिता के विरोध में नवीन जागृति दी थी सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और स्याद्वाद आदि सिद्धांतों के प्रतिपादन तथा उन्हें अपने जीवन में अपना कर जो पथ बताया था उस पर चलना आज समस्त देश एवं विश्व के लिये आवश्यक है । मुझे आशा है महावीर जयन्ती स्मारिका अपने उद्देश्य को पूरा करने में समर्थ होगी । राजमद्दल, जयपुर Jain Education International For Private & Personal Use Only गायत्री देवी संसद सदस्या www.jainelibrary.org

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