Book Title: Mahavir Parichay aur Vani
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Osho Rajnish

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Page 11
________________ मेरे पास देसन की एक विगिप्ट दृष्टि है। हो सकता है कि किसी को महावीर म कुछ भी दिखाई न पडे । महावीर म जो है उसे देखने के लिए विशिष्ट साख चाहिए । हा, पथ्वी पर मिन भिन तरह के लोग हैं। इनकी जातियाँ बताना भी मुश्किल है। लेफ्नि एक बार दिस जाय साम्य तो सभी भिनताएँ खा जाती है। सभी मिननाए दीए की मिनताएं है-ज्योति की मिनता नहीं। दीए का अनुभव आकार का अनुभव है कि तु ज्यातिमय का अनुभव आकार का अनुभव नहा । दीया जड है, पदाथ है-ठहरा हुआ, रुका हुआ, ज्योति चेतन है सत्य है--जीवात, भागती हुई। दीया रखा हुआ है ज्याति जा रही है भाग रही है ऊपर की पार । ज्योति है ऊ वगमन का प्रतीक निराधार की अनुभूति । किननी जल्ली ज्योति वा जाकार खो जाता है ? पहचान भी नहीं पात कि उसका आकार खो जाता है। वह मिलन है आकार निराकार का । अभी थी, अप नही है। प्रतिपल याकार निराकार म खोता जा रहा है। आवार के पार निरा पार म जो सत्रमण हो रहा है वही ज्योति है। जात म दीया को पहचाननेवाले लाग ज्यानिया में सम्म य म झगडा करते रहते ह दीया को पक्डनेवाले ज्योतिया के नाम पर पथ और सम्प्रदाय बना लेते हैं। वे भूर जाते है कि दोया एक अवसर था ज्योति के घटने का और ज्योति का जो आकार लिसा था वह भी मिफ एक अवसर था ज्योति के निराकार म खोने का । वधमान तो दोया है महावीर ज्याति, सिद्धाय दीया है, युद्ध ज्याति जीजस दीया है, माइस्ट ज्योति । लेकिन हम दीए को पकड रेत है और महावीर थे सम्बघ म सोचते-साचत वधमान के मम्बध म सोचन लगत है । वधमान को पकडनवाल रोग महावीर को पक्ड नहीं पात । सिद्धाय यो परडनेवार भिक्षु बद स और मरियम के बटे जीजस का पहचाननेवाले पुजारी परमात्मा के वटे प्राइस्ट स जमिन रह जाते है । हम सब दीया म ही लवरीन रहते हैं । हम नीया हैं राही पर ज्योति भी हो सबत हैं। ज्योति की चिता करनी चाहिए, दीय की नहा । महावीर या निमित्त बनावर ज्याति पर विचार करना होगा। जिह महावीर की ओर से ज्याति पहचान म आ सस्ती है, अच्छा है वहा से पहचान में आ जाय । जिहें नहीं आ सपती, उनके लिए किमी और या निमित्त बनाया जा सकता है। सब निमित वाम म आ सस्त है। बहुत विगिष्ट है महावीर इसलिए सोचना बहुत जरूरी है उन पर, रविन वे विनिष्ट है पिसी दूसरे की तुरना म नहीं। हम अविशिष्ट हैं साधारण रोग है। साधारण इस अय म कि हम दोया हैं और हमारा साधारण असाधारण या अवसर है मौका है चीज है। विगिप्ट और असाधारण वह है जो ज्याति बन गया और गया वहाँ, उम पर वी आर जहाँ शाति है जान है जहाँ साज या लत है, उपलधि है। महावीर पिसी की तुलना म विगिप्ट नहा-मिमी म विगिप्ट नही। मरा

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