Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 14
________________ संघ पूजामां साधर्मिकने दक्षिणानी साथे ज भोजन आप, जोइए आ नियमनुं जाणे के पालन करवाना भावथी जे श्री गौतम स्वामीए पंदरसो तोपसोने दक्षिणामां केवलज्ञानरुपी वस्त्र आप्युं, ते श्री गौतमस्वामी मने वांछित आपो शिवंगते भरि वीरनाथे, युगप्रधानत्वमिहैवमत्वा। पट्टाभिषेको विदघे सुरेन्द्र, स गौतमो यच्छतु वांछितं मे ॥॥ महावीर स्वामी भगवान मोक्षमां गया त्यारे हवे युग प्रधान पणुं आमनामां (गौतमस्वामीमां) छे, एवो निर्णय करी जे गौतमस्वामीनो इन्द्रोए पट्टाभिषेक कर्यो ते श्री गौतमस्वामी मने वांछित आपो) त्रैलोक्यबीजं परमेष्ठिबीजं, सज्ज्ञानबीजं, जिनराजबीजम्। यन्नामचोक्तं विदधाति सिद्धिं, स गौतमो यच्छतु वांछितं मे ॥९॥ (त्रैलोक्यबीजं (ओं), परमेष्ठीबीजं (ही), सज्ज्ञानबीजं (श्री), जिनराज बीजं (अहँ), आटला थी युक्त जेमनो नाम मंत्र सिद्धिने आपे छे, ते श्री गौतमस्वामी मने वांछित आपो) श्री गौतमस्याष्टकमादरेण, प्रबोधकाले मुनि पुंगवाये । पठन्ति ते सूरिपदं सदैवाऽऽनन्दं लभन्ते सुतरां क्रमेण ॥१०॥ ucademational FFor Private:-Personal use only. awwanimelibrary.org

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