Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 98
________________ संख्यातित सिद्धियों के स्वामी थे । सिद्धांत रक्षा, समर्पण भाव, शोक से सर्वज्ञता के शिखर पर पहुँचने वाले, महामहिम प्रतिभासंपन्न, युगपुरूष, युगद्रष्टा आदि अनेक गुणाभिराम जीवन के धनी थे । फिर भी परम विनयी थे । • गौतम स्वामी स्वाध्यायवीर, ध्यानवीर, तपवीर, नरवीर, ज्ञानवीर, शूरवीर एवं जीवनवीर थे । वे प्रसन्न - प्रशांत सीधे, सरल तपस्वी, तेजस्वी, गंभीर, नीरभिमानी और मनमोहक मुद्रावाले थे । • अनेकानेक गुण पुर्ण, सविशेष, उदात्त, उत्तुंग और उत्तम कल्पना अगर हम किसि के लिए कर सकते है तो, निश्चित रूप से समझना चाहिए की कल्पना सृष्टि के पूर्ण एवं पुण्यवान पुरूष दूसरें कोई नहीं हो सकते है, सिवाय एकमेव, अद्धितिय, अनन्य और अनुपम सर्वांगसंपूर्ण, सर्वगुण संपन्न श्री गुरू गौतम स्वामी । । आँखो में करूणा, झिलमिल प्रेम के क्षीर समुद्र, ललाट में सौसौ सूर्य के तेज को भी शरमावे ऐसा तेज, चेहरे पर चाँदनी से अधिक शीतलता, होठों पे माधूर्य की सरगम, गति में लय, स्थिरता में शांति का गुंजारव, वाणी में निर्मल झरणे का निनाद, उग्र तपस्वी, उग्र विहारी, घोर ब्रह्मचारी ऐसे गुरू गौतम स्वामी का ध्यान प्रत्येक ब्रह्ममुर्हत में करना प्रत्यक के लिए अत्यंत चमत्कारिक, लाभदायक Jain Education National For Private & Perta www falorary.org

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