Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh
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कीधी करावी अल्पभक्ति होंशनुं तरणुं फलयुं, अवा. ४७ जेना गुणोना सिंधुना बे बिंदु पण जाणुं नहि me पण एक श्रद्धा दिलमहिं के नाथ सम को छे नहि जाणा जेना सहारे क्रोड तरिया मुक्ति मुज निश्चय सहि, अवा.४८ जे नाथ छे त्रण भुवनना करूणा जगे जेनी वहे FE जेना प्रभावे विश्वमा सद्भावनी सरणी वहेगी आपे वचन श्रीचंद्र जगने ओज निश्चय तारशे, ओवा. ४९ प.पू.आ. विजय भुवनभानुसूरीश्वर
तं वंदनावली रचयिता : श्रीचन्द्र धर्मचक्र तप प्रभावक आ. श्रीजगवल्लभसूरि म.सा.
चिहुंगति विशे भमतो भविक मुज आतमा पावन थयो जेना दरस वंदन चरण सेवा थकी घट उमह्यो जोटो जडे ना जगविषे जस योगनो कलिमल हरो ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना शुभ स्थानथी शिवराज लेवा राजनगरे आवता श्रद्धाळु श्रावक भगत चीमन तात घर शोभवता
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