Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 137
________________ जेना चरणने सेवता भोगीजनो योगी थया त्यागी तपस्वी ज्ञानी ध्यानी ने गीतार्थ दशा वर्या शासन प्रबावक जास कमनीय कार्यनी गणना नही ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना पत्थरतणी पडिमा विषे परमात्मा प्रगटावता अंजन शलाका विधि करे तस दिव्य ज्योत जगावता ज्यां ज्यां प्रतिष्ठाओ करे त्या उन्नती स्हेजे थकी ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना उपधान उजमणा तीरथ यात्रा तणा संघो घणा अष्टापदादि पूजन मुख जिनभक्तिना ओच्छव घणा जलधर समा सान्निध्यमां चलचंचु भवि प्यासा हरे ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना संयम महा साम्राज्य धारक आपनी अविचल कथा वरदानकर सुरिप्रेमना वारस हरो मुज भव व्यथा भवोभव मळो भगवान तुम सेवकपणे सिद्धि दशा ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना ३६ an Educon laational elibrary.org

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