Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh
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वात्सल्यवंती जननी भुरि कुक्षिने अजवाळता ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना ओगणीस सडसठ-साल चौत्रवदनी षष्ठी बहु भली मंगल प्रभाते सुर्य सम तव जन्मथी ज्योति मली लक्षण अनेरा पारणामां जोवता आंखो ठरी ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदन
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दिनरात वधतु नूर गुरुवर आपनुं हितकारणु मुखडु तमारुं सहुजनोने पूण्यप्रद संभारण स्नेही स्वजनना लाडमां पण आत्मखोज करी रह्या ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना
रत्नत्रयी कारक त्रीजा संभवजिनपनी आदरे बालत्वथी शुभ भक्तिभावे त्यां ज निज दिलडु ठरे पुण्यानुबंधी पुण्य परिमल प्रतिपले जे पामता
ओवा सूरीश्वर भुवनभानु चरणकज हो वंदना
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संसारी सौ स्वजनोनी साथे वही रह्या व्यवहारमां
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