Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 118
________________ * २. जन्म कल्याणक *नमा महायोगना साम्राज्यमा जे गर्भमा उल्लासता, ने जन्मता त्रणलोकमां महासूर्य सम परकाशता, जे जन्म कल्याणक वडे सौ जीवने सुख अर्पता,.. जेवा. २ *३. जन्मोत्सव * छप्पन दिगकुमारी तणी सेवा सुभावे पामता देवेन्द्र करसंपुट महीं, धारी जगत हरखावता मेरु शिखर सिंहास ने जे नाथ जगना शोभता,... ओवा. ३ कुसुमांजलिथी सुरअसुर जे, भव्य जिनने पूजता, क्षीरोदधिना न्हवणजलथी देव जेने सिंचता वली देवदुंदुभि नाद गजवी देवताओ रीझता, ओवा. ४ मधमध थता गोशीर्ष चंदनथी विलेपन पामता देवेन्द्र दैवी पुष्पनी माळा गळे आरोपता कुंडल कडां मणिमय चमकतां, हार मुकूटे शोभता. ने श्रेष्ठ वेणु मोरली वीणा मृदंगतणा ध्वनि वाजिंत्र ताले नृत्य करती किन्नरीओ स्वर्गनी अवा.५ emational For Private & Personal use only www.janelarong

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