Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 112
________________ ९) भीम : उग्रतप करने के कारण अल्पसत्व वाले पासत्था आदि शिथिलाचारी साधुओ के लिए भयानक। NEFFE १०) घोर : परिषह को सहन करने में तथा इन्द्रियों का दमन करने में समर्थ । '११) घोरगुण : साधरण मानवों को आचरण करने को मुश्किल ऐसे मूल गुणदिक को धारण करने वाले । १२) धोरतपस्वी : धोर तप को करनेवाले १३) धोरब्रह्मचर्यवासी : अल्पसत्व वाले जीवें से जिसका आचरण करना अत्यंत कठिन है वैसा उत्कृष्ट ब्रह्मचर्य गुण में वास करनेवाले। १४) उच्छढशरीर : शरीर की सेवा शुश्रूषा नहीं करने के कारण मानों, की शरीर का त्याग ही किया हो वैसे। १५) संक्षिप्त विपुलतेजोलेश्य : शरिर के आंतरिक भाग में रहने से संक्षिप्त और अनेक योजन प्रमाण क्षेत्र में रही हुई चीज, वस्तु, पदार्थ को जलाने में समर्थ होने से विपुल ऐसी तेजोलेश्या को धारण करनेवाले। १६) चतुर्दशपूर्वी :चौदह पूर्वो का ज्ञान वाले, अर्थात् श्रुतकेवल। Jain Education Interade Prveersonalise jainelibra org

Loading...

Page Navigation
1 ... 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140