Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 79
________________ वाणी स्वामिनी त्रिभुवननी श्रीदेवी, गणी पीटक यक्षराज सेवी नितमेवी, सेवक सुरनार सहु कार्य करो रे... भावे समरे जे नाम गौतम तमारु, विघ्नो विदारी खोले पुण्यतणुं बारु, पुण्योदयी तु परमेश परो रे, प्रेमे भुवन गुरु गौतम ने सेवता, लब्धि अनंत होय सार करे देवता, धर्मी वल्लभ जग करो रे, 19 छठी Jain Education national जिस दिन गौतम स्वामी.... ॥६॥ 防延 हे गौतम गणधारी, जीवन ज्योत तुज न्यारी (तर्ज - हे त्रिशलाना जाया) गौतम स्वामी.... ॥४॥ हे गौतम गणधारी, जीवन ज्योत तुज न्यारी, लब्धिवंत शिरदार तमारा - चरणे प्रणति अमारी ७४ वार क) गौतम स्वामी.... ॥५॥ शिरीमान 加密 है गौतम गणधारी...१ Only jainelibrary.org

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