Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 92
________________ क्यों कि, जब भगवान महावीर त्रिपृष्ठ वासुदेव के भव में थे इस समय, यह हालिक किसान का जीव सिंह के भव में था, और भगवान के जीव ने इसको मारा था । उस भव के वैर के कारण भगवान को देखकर भाग गया। जब सिंह मरने की अवस्था में था, उस समय गौतम स्वामी, जो कि भगवान के सारथी थे, उन्होने सिंह को आश्वासन देकर शांत किया था। इसलिए गौतम स्वामी पर सद्भाव था। • भगवान महावीर की आज्ञा से गौतमस्वामी देवशर्मा ब्राह्मण को प्रतिबोध करने गये थे, लेकिन कर्म का भारी पणा से देवशर्मा प्रतिबोध न पाया और गौतमस्वामी वापस आ रहे थे, उस समय भगवान महावीर का निर्वाण की बात सुनी, यह सुनकर खेद, विलाप करते करते राग में से वैराग्य भाव बढा और वैराग्य में से वितराग भाव प्राप्त किया। बाद में कार्तिक सुद एकम की पहली सुबह में उन्हे केवलज्ञान और केवलदर्शन प्राप्त हो गया। उसी वक्त देवो ने केवलज्ञान का महोत्सव मनाया था। • श्री पार्श्वनाथ प्रभु की परंपरा के केशी कुमार श्रमण के साथ श्री गौतम स्वामी का संवाद हुआ था। परिणामतः श्री पार्श्वनाथ प्रभु के सर्वश्रमण समुदाय एवं श्रमणोपासक वर्ग प्रभु महावीर के शासन में Jain Education S tational For Private & Personal use only. www.osmelibrary.org

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