Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 88
________________ ॥४॥ घेर घोडा पायक नहि पार, सुखासन पालखी उदार; वैरी विकट थाये विसराळ, जयोजयो गौतम गणधार प्रह उठी जपीये गणधार, ऋद्धि सिद्धि कमळा दातार; रुपरेख मयण अवतार, जयो जयो गौतम गणधार कवि रुपचंद केरो शिष्य गौतम गुरु प्रणमो निशदिश - कहे छंद सुमनगार, जयोजयो गौतम गणधार ॥ ६॥ (६) गोतम गणधरतणी आरती उतारीये, माण (राग - देखी श्री पार्वतणी) गौतम गणधरतणी आरती उतारीये, गौतमना नामे जयकार, गौतमनी ज्योति जगसारणी गौतमनी लब्धि रलियामणी गौतमनी...१ एकसोने आठ दीपमाला प्रगटावीओ, ज्योति छे जीवन आधार गौतमनी...२ अरति-उपधि आधि व्याधिने चटालीओ करीओ अंतरथी टहुकार गौतमनी...३ भव्य भाविना लेख भाले कंडारीये, विघटेदुर्भाग्य अंधार गौतमनी...४ Jain Education Inte. Etional For Private & Personal use only sinelibrary.org

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