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घेर घोडा पायक नहि पार, सुखासन पालखी उदार; वैरी विकट थाये विसराळ, जयोजयो गौतम गणधार प्रह उठी जपीये गणधार, ऋद्धि सिद्धि कमळा दातार; रुपरेख मयण अवतार, जयो जयो गौतम गणधार
कवि रुपचंद केरो शिष्य गौतम गुरु प्रणमो निशदिश - कहे छंद सुमनगार, जयोजयो गौतम गणधार ॥ ६॥ (६) गोतम गणधरतणी आरती उतारीये,
माण (राग - देखी श्री पार्वतणी) गौतम गणधरतणी आरती उतारीये, गौतमना नामे जयकार, गौतमनी ज्योति जगसारणी गौतमनी लब्धि रलियामणी
गौतमनी...१ एकसोने आठ दीपमाला प्रगटावीओ, ज्योति छे जीवन आधार
गौतमनी...२ अरति-उपधि आधि व्याधिने चटालीओ करीओ अंतरथी टहुकार
गौतमनी...३ भव्य भाविना लेख भाले कंडारीये, विघटेदुर्भाग्य अंधार
गौतमनी...४
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