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________________ उतारी लुण, अन्तर पधरावीओ, पूजा वरीओ शिवसुखनो शणगार ऐसे थे गौतम स्वामी • श्री गौतमस्वामी कीज था । जिस पात्र का स्पर्श करे उसमें धान्य की कमी नही दिखती थी । • भगवान महावीर की आज्ञा से गौतम स्वामी अष्टापद तीर्थ पर अपनी अतुल शक्ति से पहुँचे थे, यात्रा पूर्ण करके पर्वत की तलहटी पर आकर १५०० तापस-सन्यासियों को खीर का पारणा कराया था । इससे अक्षीणमहानस लब्धि की प्रसिद्धि हुई । यह बात गौतम स्वामी के जीवन का चमत्कारिक प्रसंग माना गया I गौतमनी... ५ • तीन लोक, परमेष्ठि पद, ज्ञान मार्ग और जिनपद के बीज समान गौतमस्वामी हमें इच्छित वर प्रदान करे। ऐसे महान कल्याणकारी गुरु गौतमस्वामी का नाम स्मरण सर्वप्रकारी सिद्धि देनेवाला है । गौतमस्वामी के ध्यान से विघ्नविनाश, मनोकामना पूर्ण, दुश्मन का दूर होना, स्वजन के साथ सुमिलन् रहना इत्यादि अनुकूलताएँ उपलब्ध होती है । प्रभात के समय में गौतम स्वामी जैसे पवित्र और दिव्यव्यक्तित्वके धारक परमगुरुका नामस्मरण जीवन में सौभाग्य in Education International ४ For Private & Personal use Only jainelibrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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