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________________ आदि अनेक गुणों की प्राप्ति का कारण समझा गया है । बिन्दु में सिंधु का दर्शन अगर करना हो तो प्रभात के पुष्प समान परिमल के धनी गुरु गौतम स्वामी की मीठी याद अपने मनबगीचे को सुमधूर और सुवासित बनाती है । FR FF LIP • गौतम स्वामी सुरमणि, चिंतामणि, कल्पवृक्ष और कामित पुरण कामधेनु समान है । ऐसे गौतम स्वामी का ध्यान करने से चित्तप्रसन्नता की प्राप्ति होती है और अपनी आत्मा का उदय होता है । SPE गौतम स्वामी जिनको दीक्षा देते थे वह सभी केवलज्ञान प्राप्त करते थे । विशेषता है कि गौतम स्वामी के ५०,००० शिष्य केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गये, जबकि प्रभु महावीर के ७०० शिष्य केवलज्ञान प्राप्त कर मोक्ष में गये । • अपनी विशिष्ट शक्ति से अष्टापद पर गौतमस्वामी जब गये तब वहाँ चौबीस तीर्थंकरो को वंदन करके जगचिंतामणी नामक चौत्यवंदन की रचना की । तथा तिर्यग्जृंभक देव को पुंडरीककंडरीक अध्ययन से प्रतिबोध किया, जो बाद के भव में वज्रस्वामी बने । Jain Education nation walwa Pembrary.org
SR No.003164
Book TitleLabdhinidhan Gautamswami
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHarshbodhivijay
PublisherAndheri Jain Sangh
Publication Year
Total Pages140
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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