________________
• गौतमस्वामी को केवलज्ञान होने से पूर्व मतिज्ञान, श्रुतज्ञान, अवधिज्ञान और मनःपर्यवज्ञान इस प्रकार चार ज्ञान थे। • श्री गौतम स्वामी को प्रभु महावीर के साथ पूर्व में सम्बन्ध हुआ था। जब प्रभु महावीर अठारवें भव में त्रिपृष्ठ वासुदेव थे तब, गौतम स्वामी का जीव उनका रथ चलानेवाला सारथी था। • शास्त्रो में गौतम स्वामी के पूर्वभव इस प्रकार बताये है। भव - १) मंगल सेठ २) मत्स्य ३) सौधर्मदेव ४) वेगवानविधाधर ५) आठवाँदेवलोक में इन्द्र ६) श्री गौतमस्वामी का। • चार चार ज्ञान के मालिक श्री गौतमस्वामी ने आनंद श्रावकको मिच्छामी दुकडं देकर नम्रता और क्षमा भाव का उत्तम आदर्श अपने को बताया है। अतिमुक्तक कुमार को बाल्यवय में दीक्षा की भावना कराने में गौतमस्वामी का संवाद और सहवास ही मुख्य कारण बना था। जो अतिमुक्तक कुमार चारित्र लेकर जीवन के नवमें वर्ष में केवलज्ञानी बने थे। • हालिक नाम के किसान ने गुरु गौतम के पास खुश होकर दीक्षा ली। किंतु बाद में प्रभु महावीर को देखते ही वह वापस भाग गया,
८६
Jain Education
emationa'
Private&Personal
inelibrary.org