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भलु कर्यु ओ त्रिभुवन जन प्रति पालजो,
विश्वं...२ अहो हवे में जाण्यूं श्री अरिहंतजी, या __निःस्नेही वीतराग होय नीरधारजो,
मोटो ओ अपराध इहा प्रभु माहरो, श्रुत उपयोग मे दीधो नही ते वारजो,
विश्वं...३ प्रेम थकी सर्यु धिक् ओक पाक्षिक स्नेहने,
ओक ज तुं मुज कोइ नथी संसार जो, सूरि माणेक ओम गौतम समता भावथी, वरीया केवल ज्ञान अनंत उदार जो.
विश्वं...४ श्री गौतम स्वामी की आरती
जयो जयो गौतम गणधार
(राग....रघुपति राघव राजाराम) जयो जयो गौतम गणधर, मोटी लब्धि तणो भंडार; समरेवंछित सुख दातार, जयोजयो गौतम गणधार ॥१॥ वीर वजीर वडो अणगार, चौद हजार मुनि शिरदार; जपता नाम हुवे जयकार, जयोजयो गौतम गणधार ॥२॥ गय गामिणि रमणी जग सार, पुत्र कलत्र सजन परिवार आपे कनक कोडी विस्तार, जयोजयो गौतम गणधार ॥३॥
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