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सत्य कहुं तो आप हता वीतरागजी, निरागी हो कसुरना तल भारजो; गुण ओ तुजमां जाण्यो में आजे विभो ? RSS धिक् धिक् निंदु आतम माहरो तातजो PEE मन...९
बिकिनकि गौतम चढीया भाव मिनारा उपरे, भावना आपी ओकत्व मन मांह्य जो; निर्मल पंचम ज्ञान प्रकाश्युं ते समें, सुरनरगण महिमा आनंदभर गायजो
मन...१० शासन स्वामी संत स्नेही साहीबा, (तर्ज - ओधवजी संदेशो केजो श्यामने ओ देशी)
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शासन स्वामी संत सनेही साहीबा, डा अलवेसर विभु आतमना आधार जो,
आथडतो अहीं मुकी मुजने एकलो
मालीक केम जइ बेठा मोक्ष मोझार जो विश्वंभर विमला तमे वहाला वीरजी, मन मोहन तुमे जाण्यु केवल मागशे,
लागशे अथवा केडे ओ जेम बोलजो, वल्लभ तेथी टाल्यो मुजने वेगलो,
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