Book Title: Labdhinidhan Gautamswami
Author(s): Harshbodhivijay
Publisher: Andheri Jain Sangh

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Page 64
________________ निर्वाण प्रभुनुं सुणतारे, गुरु गौतम पोके रडता रे, हु रागी प्रभु वैरागी, रडतापण केवल वरतारे गुरु....६ > गौतम तेरे चरणोकी > (राग : तु प्यार का सागर है) गौतम तेरे चरणोकी, यादि धूलही मील जाये, गौतम.... यह मन बडा चंचल है, कैसे तेरा भजन करुं FISS कार जितना इसे समजावो, उतनाही मचलता है । गौतम.....१ कहते है तेरी लब्धिया, दिनरात बरसती है ओक अंश जो मील जाये, दिलकी खुशी बढ जाये गौतम....२ गौतम इस जीवनकी, बस ओक तमन्ना है तुम सामने हो मेरे, मेरे प्राण निकल जाये गौतम....३ गाते गौतम तेरी महिमा, विध विध शब्दोंको ढुंढकर, मेरा दिल बना है बाग, भक्तिके फूल महकावो गौतम....४ Jain Education Interational For Private & Personal use only unelibrary.org

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