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बुलाया है, वह तुमसे मिलना चाहती है।'
बंदर ने इंकार कर दिया कि वह पानी में कैसे जाएगा। उसे तो तैरना भी नहीं आता। तब मगरमच्छ ने समझाया कि वह उसे अपनी पीठ पर बिठाकर ले जाएगा। बंदर राजी हो गया। मगरमच्छ ने जब आधी नदी पार कर ली तो यह सोचकर कि अब यह बंदर कहाँ जाएगा, पानी में तैर तो नहीं सकता, पेड़ भी बहुत दूर छूट चुका। उसने राज खोल दिया तुम रोज मीठेमीठे जामुन खाते हो तो तुम्हारा दिल भी बहुत मीठा होगा। सो मेरी पत्नी तुम्हारा दिल खाना चाहती है।' बंदर ने सुना तो दंग रह गया। सोचा कि बुरे फंसे, अब क्या करूँ लेकिन बंदर था बुद्धिमान। उसने संकट को भांपकर कहा 'अरे, यह बात तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताई कि भाभी ने दिल मंगाया है, मैं अपना दिल तो उसी जामुन के पेड़ पर छोड़ आया हूँ। वहीं कह देते तो अपना दिल पेड़ से उतारकर दे देता।' मूर्ख मगरमच्छ को पछतावा हुआ और वह उसे वापस तट पर ले गया। तट पर पहुँचकर बंदर ने छलांग लगाई और चढ़ गया पेड़ पर। मगरमच्छ इंतजार ही करता रह गया पर बंदर वापस न आया। मगरमच्छ के बुलाने पर उसने कहा 'तुम दगाबाज निकले। जिसने ताउम्र तुम्हें और तुम्हारी पत्नी को मीठे फल खिलाये तुम उसी को खाने को तैयार हो गए?' जीवन में मगरमच्छ जैसे दोस्त बनाने की बजाय बिना दोस्त के रह जाना श्रेयस्कर है। सो गंगोदक होय
प्राय: स्कूल या कॉलेज से मित्रता की शुरुआत होती है। हम जिन लोगों के बीच रहते हैं, अपना अधिकांश समय व्यतीत करते हैं, उनसे हमारा परिचय होता है, संबंध प्रगाढ़ होते हैं, मित्रता बढ़ती है और हमको लगता है कि ये सब हमारे मित्र हैं, क्या वे वाकई हमारे मित्र हैं, हम अपना विवेक जगाएँ और देखें कि क्या वाकई वे सभी हमारी मित्रता के लायक हैं ? अगर किसी में कोई कुटेव है तो आप तुरंत स्वयं को अलग कर लें, नहीं तो वे आदतें आपको भी लग जाएँगी। अगर आपको सिगरेट पीने की आदत पड़ चुकी है तो झाँके अपने अतीत में। आपको दिखाई देगा कि आप विद्यालय या महाविद्यालय में पढ़ते थे, चार मित्र मिलकर एक सिगरेट लाते थे और किसी पेड़ की ओट में जाकर
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