Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 145
________________ आप उसे छोटा कैनवास देंगे तो वह वहीं तक सीमित रहेगा, लेकिन बड़ा कैनवास देंगे तो वह जीवन में उतना ही बड़ा चित्र उकेरने में सफल और सक्षम होगा। अगर पुस्तक को पढ़ना है तो उसे आँख से थोड़ा दूर रखना होता है। अधिक पास रखने से आँख खराब हो सकती है, वैसे ही बच्चे का भविष्य संवारना है तो उसे भी आँख से दूर रखने की हिम्मत जुटाइये। जब वह आँख से दूर होगा तो आत्मनिर्भर होगा। ___ मैंने देखा है कि बच्चे घर में माँ से कहते हैं मुझे यह सब्जी नहीं सुहाती, मुझे यह अच्छा नहीं लगता, वह अच्छा नहीं लगता, आज ये बनाओ। माँ खाने का आग्रह करती है और बच्चे ना-नुकुर करते रहते हैं पर वही बच्चे जब हॉस्टल में चले जाते हैं तब उसी सब्जी के लिए लाइन में लगना पड़ता है, गर्म पानी के लिए लाइन में खड़े होना पडता है, जैसा खाना मिले खाने के लिए मजबर होते हैं। तब वे आत्मनिर्भर होना शुरू होते हैं । जब उन्हें ग्राउण्ड मिलता है तब वे अपने विकास के लिए समर्थ होते है । हाँ, अपने बच्चों को व्यावहारिक शिक्षा भी दें। अकेले ही सब्जी खरीदने न जाएं । अपने बच्चे को भी साथ ले जाएं ताकि वह समझ सके कि कौनसे फल या सब्जी काम के हैं या अच्छे हैं, ताकि बड़े होने पर आपके बच्चे औरों के सामने केवल यह न कहते रहें कि हमारे पिताजी बहुत अच्छी कच्चीकच्ची भिंडी लाते थे, या क्या मटर लाते थे छांट-छांटकर, अपितु वे स्वयं भी उतनी ही अच्छी सब्जियां ला सकें। अपने बच्चे को जीवन की पाठशाला की डिग्रियां भी जरूर दीजिए। जब वह इस प्रकार की छोटी-छोटी चीजों के साथ वाकिफ होता रहेगा तो शिक्षा की डिग्रियों के साथ जीवन की व्यावहारिक पाठशाला की डिग्रियां भी अर्जित कर लेगा। ___ बच्चों और अभिभावकों के बीच संबंधों की चर्चा के बाद हम पति-पत्नी के रिश्ते पर बात करते हैं। यह एक नाजुक रिश्ता है। जब पति-पत्नी के बीच तालमेल नहीं होता है तो अग्नि की साक्षी में लिए गए फेरे मुश्किल में पड़ जाते हैं और घर घुटन, तनाव, अवसाद से घिरकर नरक बन जाता है। जानें, उनके बीच कैसा तालमेल हो, कैसे निभाएं यह रिश्ता? 144 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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