Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 143
________________ जन्म दे कर हुई थी। मेरे पास बिगड़ी संतानों के माता-पिता आते रहते हैं। मैं उनसे यही कहता हूँ कि आप थोड़ी हिम्मत दिखाओ और अपने बच्चों को सुधारने की कोशिश करो। एक पिता ने मुझे बताया कि उनका बेटा उनके हाथ से निकल गया है, कछ भी कह देता है और अब तो हद हो गई है कि वह उन पर हाथ भी उठा देता है। मैंने पूछा, तुम क्या कर रहे हो। कहने लगे, सहन कर रहा हूँ। मैंने पूछा- अगर तुम्हारे पड़ौसी ने तुम्हें चांटा मारा होता तो तुम क्या करते? उन्होंने कहा साहब, पुलिस में रिपोर्ट लिखवाता। मैंने कहा - यह तुम्हारे जीवन की पहली भूल थी कि बच्चे ने तुम पर हाथ उठाया और तुमने उसके हाथ सही सलामत रहने दिये। अगर उसी दिन तुम उसका हाथ मरोड़ने की हिम्मत रखते तो जिंदगी में उसकी अंगुली भी तुम्हारी ओर नहीं उठती। अपने बच्चे को प्रेम करने का जज्बा रखते हैं तो मौका पड़ने पर उसे ललकारने का हौंसला भी रखें। ऐसा करके आप अपने भविष्य को नरक बनाने से बच जाएंगे। मैं अहमदाबाद के एक परिवार को जानता हूं - बहुत सम्पन्न है । उनके पुत्र के दोनों जेबों में मोबाइल रहते हैं। स्कूल जाने के लिए कई कारें - जब जिसमें जाना चाहे, जाए, न जाना चाहे तो न जाए। पैसा खर्च करने की बेहिसाब छूट माँ को अपने क्लबों और किटी पार्टियों से फुर्सत नहीं है और पिता अपने व्यवसाय में व्यस्त हैं बच्चे की तरफ कौन ध्यान दे। जब वह बालक ग्यारह वर्ष का था, तब से मैं उन्हें जानता हूं। अक्सर मैं कह भी देता था कि जरा बच्चे का भी ध्यान रखें, पर फुर्सत कहाँ । अब वह लड़का सत्रह वर्ष का हो गया है। एक दिन माँ मेरे पास आई, रोने लगी वह, बहुत दुःखी थी, बता रही थी कि एक दिन मैंने बच्चे को किसी बात पर कह दिया कि ज्यादा शैतानी की तो चाँटा मार दूंगी तो उसने पलटकर जवाब दिया - अगर तू मुझे चाँटा मार सकती है तो भगवान ने मुझे भी हाथ दिए हैं। माँ तो अपने बेटे की यह बात सुनकर ही अवाक रह गयी। उसकी आँखों में आँसू के अलावा कुछ नहीं था कि अब ये दिन भी देखने पड़ रहे हैं। 142 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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