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वही रिकॉर्डिंग आपके लिए दोहराई जाएगी। बच्चा व्यवहार को दोहराएगा । जो आप आज कर रहे हैं, कल वह वही करने वाला है ।
ईर्ष्या का नहीं, प्रेरणा का पाठ पढाएँ
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तीसरी बात यह कहना चाहूंगा - बच्चों से अधिक अपेक्षाएं न पालें । आप बार-बार उनसे कहते हैं कि देख यह तेरी क्लास के बच्चे की फोटो अखबार में छपी है । वह खेलने में कितना तेज है, गोल्ड मेडल मिला है । कभी आप कहते हैं कि पड़ौसी का बच्चा अपनी क्लास में फर्स्ट आया है। तुम तो पढ़ते ही नहीं, बुद्ध हो - ऐसा ही काफी कुछ कहते रहते हैं। बच्चों की किसी से तुलना न करें और न ऐसी अपेक्षा रखें कि मेरा बच्चा ऐसा हो, मेरे बच्चा अन्य किसी के जैसा हो । उसे उसका नैसर्गिक विकास प्रदान कीजिए। वह आपका पप्पू है, पीपाड़ी नहीं कि जब चाहें तब उसका बाज़ा बजाने लग जाएँ ।
कुछ दिन पहले एक महानुभाव अपने दो बच्चों को लेकर हमारे पास आए और कहने लगे कि यह छोटा बच्चा पढ़ने में बहुत होशियार है, बुद्धिमान है, लेकिन यह बड़ा वाला थोड़ा कमजोर है। मैंने पूछा - मतलब ? वार्षिक अंक कितने आते हैं ? कहने लगे - ठीक है, अभी 82 प्रतिशत आए हैं। मैंने कहा तुम्हारा यह बड़ा बच्चा चौथी कक्षा में इंग्लिश मीडियम में 82 प्रतिशत अंक लाया है और तुम कहते हो कि यह कमजोर है । ईमानदारी से बताओ कि जब तुम आठवीं में पढ़ते थे, तब क्या 42 प्रतिशत अंक भी ला पाए थे?
आप बच्चों को अखबार में छपी फोटो दिखाते हैं और अपेक्षा करते हैं कि वह भी कर दिखाए, लेकिन अगर आपका बच्चा आपसे सफल मित्र की छपी तस्वीर दिखाकर कहे कि देखो, आप भी कुछ ऐसा करें कि अखबार में आपके दोस्त जैसी तस्वीर छप सके, तब आपका चेहरा कैसा होगा। एक पिता ने अपने पुत्र से कहा मैं तुम्हारी उम्र में था तो बारहवीं पास कर गया था, तू अभी तक नौंवी में ही है । बच्चा तपाक से बोला- रहने दीजिए पापा, राजीव गांधी आपकी उम्र में देश के प्रधानमंत्री बन गए थे, पर आप ? अगर आप बच्चे से अधिक योग्यताएं पाने की उम्मीद करेंगे तो बच्चा भी आपमें उच्च योग्यताओं
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