Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 139
________________ सामान जुटा देते हैं। पर याद रखें, आप तो दुःख के दिनों से उबरकर सुख में आ गए हैं लेकिन आपके बच्चे सुख देखकर दुःख में जाने वाले हैं। तुमने दुःख के, परिश्रम के संघर्ष के दिन देखे थे इसलिए तुम्हें खबर है पैसा कैसे कमाया जाता है और उसने बचपन में सुख के दिन देखे हैं, इसलिए आगे जाकर वह दु:ख के दिन देखने वाला है। इसलिए उसे अहसास कराएँ कि बेटा, जीवन में धन का कितना उपयोग है और उसे कितनी मितव्ययता के साथ खर्च किया जाना चाहिए। उन्हें बुद्धिमान बनाएँ, पर इतना भी न बनाएँ कि वह आपको ही बुद्धू बनाने लगे । कुछ वर्षों पूर्व हम जयपुर में किसी परिवार में एक दिन के लिए ठहरे हुए थे। मैंने पूछा, 'बिटिया कहाँ है?' कहने लगे, 'बाहर गई है गाड़ी लेकर' दोपहर में फिर पूछा, 'बिटिया नहीं आई ?' बताया कि वह अपनी सहेलियों के साथ घूमने-फिरने गई है। सांझ को फिर पूछा तो बताया गया कि वह अपनी सहेलियों के घर से अभी तक नहीं आई है, जिस घर में इतना भी अंकुश नहीं है कि बेटी कितनी देर तक घर के बाहर रहे और माता-पिता को यह भी खबर नहीं है कि बेटी किस सहेली के यहाँ गई है। क्षमा करें ऐसी लड़की जब बीस साल की हो जाएगी तो वह कभी तुम्हारे हाथ की रहने वाली नहीं है। यदि तुम अपने बच्चे को बचपन में हद से ज्यादा सुविधाएं देते रहे तो ये सुविधाएँ ही उनके और तुम्हारे लिए दुविधाएँ बन जाएँगी, क्योंकि जैसे-जैसे बच्चा बड़ा होगा वह और अधिक सुविधाभोगी बनता जाएगा और उसके बाईस साल के होने पर जब आप ब्रेक लगाने की कोशिश करेंगे तब आपका ब्रेक फेल हो जायेगा। उस वक्त आप सोचेंगे कि अब इस पर रोक लगाऊं कि अब यह ये-ये काम न करें, दोस्तों की महफिल में न जाए, खाने-पीने की गलत आदतों से न जुड़े, रात को देर तक घर से बाहर न रहे, पर तब तक देर हो चुकी होगी और बच्चा आपके कहने में न होगा। मैं कहा करता हूँ, अपने बेटे को इतना लायक भी मत बना देना कि वह तुम्हें ही नालायक समझ बैठे । Jain Education International 138 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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