________________
तो उतने ही प्रेम से उसका भी सामना करने का हौंसला रखना ।
उन्हें समझाएँ कि पैसा बहुत परिश्रम से कमाया जाता है, इसलिए उस पैसे से पढ़े-लिखें, योग्य बनें, फिर खुद कमाकर उपभोग करें। पिता के पैसे पर ऐश न करें। इस बात का उन्हें हमेशा अहसास कराते रहें कि पैसा न तो जमीन खोदकर निकाल सकते हैं, न आकाश से बरसता है । पैसे
को परिश्रम से कमाते हैं इसलिए बच्चे पैसे का मूल्यांकन करें। आप पैसे का इसलिए मूल्यांकन कर रहे हैं कि आपने बड़ी मेहनत से कमाया है । जब इसी मेहनत से कमाए गए पैसे को बेटा व्यर्थ ही उड़ाता है तो पिता को तक़लीफ होती है। इसलिए उसे अहसास कराएँ कि जो पैसा उसने मोबाइल पर, गप्पे मारने में खर्च कर दिया, वह उन्होंने परिश्रम करके पाया था । उसे समझना होगा कि दोस्तों के काम पर जो वह इधर-उधर भटक रहा है, गाड़ी चला रहा है उस गाड़ी का पैट्रोल कोई नल में पानी की तरह नहीं आया है, अपितु पैट्रोल में लगे पैसों को अपने परिश्रम से कमाया है। आपको वह सब करना होगा अगर आप चाहते हैं कि आने वाला कल आपके बच्चों के जीवन में दुविधाएँ खड़ी न करें ।
हमारे पास अधिकांश लोग यही शिकायत लेकर आते हैं कि बच्चे उनके कहने में नहीं है, बुरी संगत, बुरी आदतों से घिर गए हैं, बच्चा मनमानी करता है, उन पर हाथ उठाने लगा, सामने जवाब देने लगा है, जान से मरने-मारने की धमकी दे रहा है । इस तरह उनका बच्चा बिगड़ता जा रहा है। मैंने देखा है कि बच्चा बाईस वर्ष का होता है उससे पहले ही अपने माँ-बाप का जीवन नरक बना देता है । इसलिए उन्हें अहसास करा दिया जाए कि वे मोबाइल पर जो गप्पे लगा रहे हैं या दोस्तों की महफिल में जाने के लिए कार में पेट्रोल फूंक रहे हैं इसका उपयोग अपनी जिंदगी में अपने ही बलबूते पर करें। पहले खुद कमाओ, फिर उसका उपयोग करो ।
सुख नहीं, दुःख जुटा रहे हैं
कई लोगों की सोच होती है कि उन्होंने बचपन में दुःख उठाए हैं अब अपने बच्चों को क्यों वही दुःख उठाने दें? सो वे बच्चों के लिए हर सुविधा का
Jain Education International
137
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org