Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 59
________________ सिगरेट जलाते और एक ही सिगरेट को बारी-बारी से चारों पीते थे। पहले छिप-छिपकर, फिर फिल्म हॉल में गए तब, फिर इधर-उधर हुए तब, फिर बाथरूम में पीने लगे और धीरे-धीरे सबके सामने पीने लगे । इस तरह पड़ी जीवन में एक बुरी आदत और आपने उन्हीं लोगों को अपना मित्र मान लिया, जिन लोगों ने आपके जीवन में बुरी आदत लगाई । 1 अगर आप गुटखा खाते हैं तो सोचें कि इसकी शुरुआत कहाँ से हुई । जरूर आपकी किसी ऐसे व्यक्ति से जान पहचान थी जो इसे खाने का आदी था । आप उसके निकट आए, धीरे-धीरे उसके बुरे संस्कार आप में आ गए। अच्छे आदमी के पास रहकर अच्छाइयाँ तो सीख नहीं पाते। हाँ, बुरे आदमी की संगति से बुराइयाँ जरूर सीख जाते हैं। अगर नाला गंगा में मिलता है तो गंगाजल कहलाता है लेकिन गंगा का पानी नाले में डाल दें तो वह भी अपवित्र हो जाता है 1 कबीरा गंदी कोटची पानी पिवे न कोय, जाय मिले जब गंग में, सो गंगोदक होय । किले के चारों ओर खुदी खंदक का पानी कोई नहीं पीता, लेकिन वही पानी जब गंगा में मिल जाता है तो गंगोदक बन जाता है और लोग चरणामृत मानकर उसे ग्रहण भी कर लेते हैं । आप अपने इर्द-गिर्द रहने वाले लोगों को तो लें कि वे किस स्तर के हैं ? आपके जीवन में मित्रों की क्वान्टिटी कम हो तो कोई बात नहीं, लेकिन जितने भी मित्र हों, अच्छी क्वालिटी के हों। अच्छे लोगों के साथ, महान लोगों के साथ जिओ, क्योंकि जिनके साथ हम रहेंगे, वैसे ही बन जाएंगे। आदमी तो क्या तोता भी जिनके बीच रहता है, वैसा ही बनता चला जाता है। जैसा साथ, वैसी बात किसी व्यक्ति के पास दो तोते थे। उसने एक तोता दिया डाकू - शैतान को, Jain Education International 58 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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