Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 127
________________ "सायदव लगे कि लड़का कहाँ है। न्यायाधीश ने पूछा 'क्या बात है लड़का कहीं बाहर गया है क्या?' जवाब मिला 'बाहर नहीं गया है लड़का तो अभी जन्मपत्री में है।' ____ व्यर्थ की कल्पनाएँ । याद रखें, जो कल देता है वह कल की व्यवस्थाएँ भी देता है। बच्चे का जन्म बाद में होता है, माँ का आंचल दूध से पहले भर जाता है, यह है प्रकृति की व्यवस्था। यह प्राणीमात्र के लिए प्रकृति की व्यवस्था है कि जो चोंच देता है वह चुग्गे की व्यवस्था भी ज़रूर करता है। परिजन अतिथि, अतिथि देव दूसरी बात जो कहना चाहता हूँ वह है-अपने । व्यवहार में शालीनता रखें। जब भी किसी के साथ पेश आएँ, किसी के सामने अपनी बात रखें तो शालीनता बनाए रखें। पत्नी को भी कभी 'तुम' न कहें। मैंने कई घरों में एक विचित्र बात देखी है लोग अपनी माँ को भी 'तुम' कहते हैं और ऊपर से यह भी कि इसमें प्यार और अपनापन होता है। यह कोई प्रेम नहीं है, औरों को सम्मान देना सीखें। अगर आप 'तुम' कहकर बात करोगे तो आपकी संतान भी आपको 'तुम' ही कहेगी। औरों को 'आप' कहकर 'आप' कहलाया जाता है और 'तुम' कहकर 'तुम' कहलाया जाता है। अगर आपका नौकर भी है तो यह नहीं कि हमेशा उससे झगड़ते रहें, उसे डांटते रहें, अपशब्द बोलते रहें । नौकरी उसकी मज़बूरी है, वरना वह भी आपकी तरह सेठ हो गया होता। नौकर के साथ भी सम्मानपूर्ण भाषा का उपयोग करें। एक महिला मुझसे कह रही थी 'क्या बताऊँ महाराज जी मेरे पति बहुत झगड़ालू हैं, गुस्सैल हैं, ये हैं, वो हैं पर मैं किसी से नहीं कहती। ' मैंने कहा 'तब मुझे क्यों कह रही हो।' व्यक्ति शालीनता नहीं रख पाता कि कब कहाँ कौन-सी बात कही जाए। पूर्ण कोई भी नहीं है, सभी में कुछ-न-कुछ कमियाँ ज़रूर होती है। पति में कमियाँ न होतीं तो वह तुमसे शादी ही क्यों करता? मेरे 126 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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