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अपनी ग़लती को व्यक्ति स्वीकार नहीं कर रहा है । उसकी ज़वाबदारी और ज़िम्मेदारी दूसरे पर डाल रहा है। जीवन में अपने द्वारा होने वाली ग़लती को स्वीकार करने की आदत डालें | हज़ार तरह के बहाने बनाकर और जैसेतैसे अपनी ग़लती को ढँकने की कोशिश न करें। ग़लती किसी से भी हो सकती है । ग़लती न करे वो भगवान है, पर जो ग़लती कर सुधर जाए वो नेक इंसान ही
कहलाएगा।
सबके सुख में मेरा सुख
।
व्यवहार को प्रभावी बनाने के लिए दूसरा क़दम है -- दूसरों के प्रति हितकारी सोच | हमेशा अपने लिए ही न सोचें । यह हमारे विचार और व्यवहार को दोष है कि हम अपने बीवी-बच्चे और परिवार की तो सोचते हैं लेकिन
दूसरों के बारे में नहीं सोचते । एक परिवार में बाज़ार से ब्रेड मंगवाई गई । उस पैकेट को जब खोला तो उसमें दुर्गंध आ रही थी। उसने अपनी बीवी-बच्चों को हिदायत दी कि ब्रेड न खायें। साथ ही कहा कि बाहर जो भिखारी बैठा है उसे ले जाकर दे दो। क्या आपके भीतर जरा भी इन्सानियत है ? सुबह की दाल, गर्मी के कारण खट्टी हो गई। आप कहते हैं कि फेंकना मत, कोई भिखारी जा रहा हो तो उसे दे देना। सावधान ! कहीं पुण्य के नाम पर हम पाप तो नहीं कमा रहे हैं। जो चीज तुम खुद नहीं खा सकते, अपने बच्चे को नहीं खिला सकते वह किसी निर्धन के बच्चे को खिलाकर उसे बीमार करने की कोशिश कर रहे हो । अगर तुम देना ही चाहते हो तो वही दो जिसका तुम खुद उपयोग कर सको । बची हुई रोटी देने तक की सोच न रखें। जब आटा भिगोओ तब तुम उसमें दो मुट्ठी आटा ज्यादा भिगोना और उसकी रोटी किसी ग़रीब भिखारी को दे देना, तुम्हारे तो आटे के डिब्बे भरे हैं, अतः दो मुट्ठी आटा निकालने पर फ़र्क नहीं पड़ेगा, पर उस ग़रीब के तो दो रोटी में काफ़ी फ़र्क पड़ जाएगा।
अमेरिका में एक बालक आइसक्रीम की दुकान पर गया और आइसक्रीम की कीमत पूछी तो वेटर ने बताया पिचहतर सेंट। बालक ने अपनी जेब में हाथ डाला तो पाया उसके पास पिचहतर सेंट ही है। उसने कहा ' क्या और छोटा कप
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