Book Title: Kya Swad Hai Zindagi ka
Author(s): Lalitprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 124
________________ कगार पर पहुँचकर उनके प्राण इसी संग्रह में अटक जाते हैं। मुझे याद है-एक संपन्न व्यक्ति की पत्नी बीमार हो गई। इतनी बीमार कि मरणासन्न हो गई। उसकी दशा देखकर पति भी व्याकुल रहता कि कितनी तकलीफ उठा रही है फिर भी प्राण नहीं निकलते थे। एक दिन पति ने पूछ ही लिया कि उसे क्या तकलीफ है। पत्नी ने कहा-मेरे पास जो इतना जेवर है, सैकड़ों साडियाँ हैं उनका क्या होगा। पति ने मजाक में कह दिया मैं पहन लूंगा। इतना सुनते ही पत्नी का देहांत हो गया और वर्षों गुजर गये पति आज भी महिलाओं के वस्त्र पहनता है और वैसा ही शृंगार करता है। ___ व्यक्ति जीवन में केवल आवश्यकताओं की पूर्ति करे। आपकी आवश्यकता बीस साड़ियों की है लेकिन आकांक्षा पचास साड़ियों की है। पुरुष लोग ही एक छोटा-सा नियम ले लें कि वे एक ही रंग के कपड़े पहनेंगे जैसे कि केवल सफेद कपड़े पहनेंगे। अब हमें देखिए हमारा नियम है श्वेत कपड़े पहनने का अब कितना संग्रह करेंगे। जब आपका भी नियम होगा तो कितने वस्त्र इकट्ठे करेंगे एक रंग के? लोगों में रंग का भी राग है। कपड़े सब कपड़े हैं पर रंगों का फ़र्क है। महिलाएँ बेहिसाब साड़ियाँ इकट्ठी करती हैं पर पहन कितनी पाती हैं । एक बार में एक ही साड़ी पहनोगे ना, दो तो नहीं पहन पाओगे। लोगों का रंगों का भी राग है । कपड़े सब कपड़े हैं पर रंगों का फर्क है। ___ रंगों का भी अपना राज है । यह आपके स्वभाव के प्रतीक होते हैं। किसी को लाल रंग पसंद है तो किसी को गुलाबी, तो किसी को पीला रंग पसंद होता है। जिसका स्वभाव तेज होता है उसे लाल रंग पसंद होता है। जिसका स्वभाव थोड़ा मीठा होता है उसे गुलाबी रंग अच्छा लगता है। जिसका स्वभाव खट्टीमीठी प्रकति का होता है उसे पीला रंग अच्छा लगता है। जो शांत स्वभाव का होता है उसे सफेद रंग अच्छा लगता है। जिसकी जैसी चित्त की प्रकृति होती है वैसे-वैसे रंग के कपड़े पहनने की कोशिश करता है। व्यक्ति आकांक्षाओं के मकड़जाल में न उलझे, अपनी आवश्यकताओं और आकांक्षाओं की सीमा बनाए।रहने के लिए मकान है, खाने के लिए रोटी है, पहनने के लिए कपड़े हैं, 123 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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