Book Title: Kumarpal Charitra Sangraha
Author(s): Muktiprabhsuri
Publisher: Singhi Jain Shastra Shikshapith
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________________ सोमप्रभाचार्यकृतदूसम-समए वि हु हेमसूरिणो निसुणिऊण वयणाई / सब-जणो जीव-दयं कराविओ कुमरवालेण // तनो दुवे वि एए इमंमि समए असंभव-चरित्ता / कय-कयजुयावयारा जिणधम्म-पभावण-पहाणा // दुण्ह वि इमाण चरियं भणिजमाणं मए निसामेह / वित्थरइ जेण सुकयं थिरतणं होइ जिणधम्मे // . जह वि चरियं इमाणं मणोहरं अत्थि बहुयमन्नं पि / तह वि जिणधम्म-पडिबोह-बंधुरं किं पि जंपेमि // बहु-भक्ख-जुयाइ वि रसवईए मज्झाओ किंचि भुंजतो / निय-इच्छा-अणुरूवं पुरिसो कि होइ वयणिजो // 2. अणहिलपाटकपुरवर्णनम् / बत्यि मही-महिलाए मुहं महंतं मयंक-पडिबिम्बं / जंबुद्दीव-छलेणं नहलच्छि दहुमुन्नमियं.॥ तुंगो नासा-वंसो व सोहए तियस-पवओ जत्थ / सीया-सीओयाओ दीहा दिट्ठीओ व सहति // तत्यारोविय-गुण-धणु-निभं नलाडं व भारहं अस्थि / जत्थ विरायइ विउलो वेयट्टो रयय-पट्टोव // 15 जं गंग-सिंधु-सरिया-मुत्तिय-सरियाहिसंगयं सहइ / तीर-वण-पंति कुंतल-कलाव-रेहंत-पेरंतं // तत्यत्यि तिलय-तुलं अणहिलवाडय-पुरं घण-सुवन्नं / परंत-मुत्तियावलि-समो सहइ जत्थ सिय-सालो॥ गरुओ गुजरदेसो नगरागर-गाम-गोउलाइन्नो / सुर-लोय-रिद्धि-मय-विजय-पंडिओ मंडिओ जेण // . जम्मि निरंतर-सुर-भवण-पडिम-ण्हवणंबु-पूर-सित्त छ / सहला मणोरह-दुमा धम्मिय-लोयस्स जायंति // जस्य सहति सुवन्ना कंचण-कलसा य सुर-घर-सिरेसु / गयण-म्भम-खिन्न-निसण्ण-खयर-तरुणीण पीण-यणा // . अन्भलिह-सुर-मंदिर-सिर-विलसिर-कणय-केयण-भुएहिं / नच्चइ व जत्थ लच्छी सुट्ठाण-निवेस-हरिस-वसा // जत्य मणि-भवण-भित्तीसु पेच्छिउं अत्तणो वि पडिबिंब / पडिजुवइ-संकिरीओ कुप्पंति पिएसु मुद्धाओ॥ . जम्मि महा-पुरिसाणं धण-दाणं निरुवमं निएऊण / अजहत्थ-नामओ लजिओ व दूरं गओ धणओ // जस्सि समच्छरमणा जलासया न उण धम्मिय-समूहा / कमलोवकारया सुर-रस्सिणो न उण सप्परिसा // जत्य रमणीण एवं रमणिचं पेच्छिऊण अमरीओ / लजंतीओ व चिंताइ कह वि निदं न पावंति // 45 $$ 3. चौलुक्यवंशीयराजावलीवर्णनम् / तत्यासि मूलराओ राया चोलुक्क-कुल-नह-मयंको / जणिया जणाणुकूला मूलेण व जेण नीइ-लया // जस-पुंडरीय-मंडल-मंडिय-बंभंड-मंडवो तत्तो / खंडिय-विपक्ख मुंडो चंडो चामुंडराय-निवो // ." ततो वल्लहराओ राया रइवलहो व रमणिज्जो / जेण तुरएहिं जगझंपणु त्ति कित्ती जए पत्ता // तत्तो दुल्लहराओ राया समरंगणंमि जस्स करे / करवालो छज्जइ जय-सिरीइ मयणाहि-तिलओच॥ तत्तो भीमनरिंदो भीमो व पयंड-बाहु-बल-भीमो / अरि-चक्कं अक्कमिउं पायडिओ जेण पंडु-जसो // तो कण्णदेव-निवई जस्सासिजलंमि विलसिया सुइरं / जस-रायहंस-सहिया जय-लच्छी रायहंसी च // तयणु जयसिंहदेवो पयंड-भुय-दंड-मंडवे जस्स / कित्ति-पयाव-मिसेणं चिर-कालं कीलियं मिहुणं // तम्मि गए सुर-लोयं काउं व सुरेसरेण सह मिति / कमल-वणं व दिणिदे अत्थमिए मउलियं भुवणं // तत्तो पहाण-पुरिसा निय-मइ-माहप्प-विजिय-सुर-गुरुणो / रजमणाहं दर्दु जपंति परुप्परं एवं // . ____4. कुमारपालवंशवर्णनम् / भासि सिरि-भीमदेवस्स नंदणो जणिय-जण-मणाणंदो / कय-सयल-खोणि-खेमो नामेणं खेमराओं ति // 'तस्स तणओ तिणीकय-कंदप्पो देह-सुंदरत्तेण / देवप्पसाय-नामो देव-पसायण-पहाण-मणो // तस्संगरुहो गरुओ पर-रमणि-परंमुद्दो महासूरो / तियस-सरि-सरिस-कित्ती तिहुयणपालो त्ति नामेण // तस्स सुओ तेयस्सी पसन्न-वयणो सुरिंद-सम-रूवो / देव-गुरु-पूयण परो परोवयारुजओ धीरो // दक्खो दक्खिन-निही नयवंतो सच-सत्त-संजुत्तो / सूरो चाई पडिवन-वच्छलो कुमरवालो ति // .

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