Book Title: Kumarpal Charitra Sangraha
Author(s): Muktiprabhsuri
Publisher: Singhi Jain Shastra Shikshapith

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Page 202
________________ 121 कुमारपालप्रतियोध-संक्षेप अथ द्वितीयः प्रस्तावः / 000000000 215 6615. कुमारपालं प्रति सूरिप्रदत्तो देवपूजोपास्तिविषयकोपदेशः। अन्नं च सुणसु पत्थिव ! जीव दया-लक्खणो इमो धम्मो / जेण सयं अणुचिन्नो कहिओ अ जणस्स हिअहेउं / सो अरहंतो देवो असेस-रागाइ-दोस-परिचत्तो / सबन्नू अवितह-सयल-भाव-पडिवायण-पहाणो // रागाइ-जुओ रागाइ-परवसं रक्खिउं परं न खमो / नहि अप्पणा पलित्तो परं पलित्तं निवारेइ // धम्माधम्म-सरूवं सक्कइ कहिउं कहं असहन्न / रूप-विसेसं वोत्तुं अस्थि किमंधस्स अहिगारो॥ परमत्थं अकहंतो वि होइ देवो ति जुत्तिरित्तमिणं / गयणस्स वि देवत्तं अणुमन्नह अन्नहा किं न // जो अरहंतं देवं पणमइ झाएइ निच्चमच्चेइ / सो गय-पावो पावेइ देवपालो व कलाणं // . [अत्र देवोपासनानिरूपकाणि देवपालादिकथानकानि कथितानि / ] 16. कुमारपालकारित-कुमारविहारादि-जिनमन्दिरवर्णनम् / जंपइ कुरमनरिंदो-मुणिंद ! तुह देसणामयरसेण / संसित्त-सब-तणुणो मह नट्ठा मोह-विस-मुच्छा // मुणियं मए इयाणिं जं देवा जिणवरा चउच्चीसं / जे राग-दोस-मय-मोह-कोह-लोहेहिं परिचत्ता॥ . नवरं पुवं पि मए भद्दग-भाव-प्पहाण-चित्तेण / पडिहय-पाव-पवेसं लदु तुम्हाण उवएसं // सिरिमाल-वंस-अवयंस-मंति-उदयण-समुद्द-चंदस्स / मइ-निज्जिय-सुरगुरुणो धम्म-दुम-आलवालस्स // नयवंत-सिरो-मणिणो विवेय-माणिक्क रोहणगिरिस्स / संचरिय-कुसुम-तरुणो बाहडदेवस्स मंतिस्स // जय-पायड-वायडकुल-गयणालंकार-चंद-सूराणं / गग्ग-तणयाण तह सबदेव-संबाण सेठ्ठीणं // दाऊण य आएसं कुमरविहारो कराविओ एत्थ / अट्ठावओ व रम्मो चउवीस-जिणालओ तुंगो // कणयामलसार-पहाहि पिंजरे जम्मि मेरुसारिच्छे / रेहंति केउदंडा कणय-मया कप्प-रुक्ख च // स्तम्भैः कन्दलितेव काञ्चनमयैरुत्कृष्टपट्टांशुकोलोचैः पल्लवितेव तैः कुसुमितेवोचूलमुक्ताफलैः / / सौवर्णैः फलितेव यत्र कलशैराभाति सिक्ता सती श्रीपार्थस्य शरीरकान्तिलहरीलक्षेण लक्ष्मीलता // पासस्स मूलपडिमा निम्मविया जत्थ चंदकंतमई / जण-नयण कुवलउल्लास-कारिणी चंद-मुत्ति छ / अन्नाओ वि बहुयाओ चामीयर-रुप्प-पित्तलमईओ / लोयस्स कस्स न कुणंति विम्हयं जत्थ पडिमाओ॥ संपइ देह-सरूवं मुणिऊण समुलसंत-सुह-भावो / तित्थयर-मंदिराई सव्वत्थ वि कारविस्सामि // तत्तो इहेव नयरे कारविओ कुमरवाल-देवेण / गरुओ 'तिहुणविहारों' गयण-तलुत्तंभण-खंभो // 255 कंचणमय-आमलसार-कलस-केउप्पहाहि पिंजरिओ। जो भन्नइ सच्चं चिय जणेण 'मेरु' ति पासाओ / जर्सि महप्पमाणा सव्वुत्तम-नीलरयण-निम्माया / मूल-पडिमा निवेणं निवेसिया नेमिनाहस्स // कुसुमोह-अच्चिया जा जणाण काउं पवित्तयं पत्ता / गंगा-तरंग-रंगत-चंगिमा सहइ जउण व // वटुंताण जिणाणं रिसह-प्पमुहाण जत्थ चउवीसा / पित्तलमय-पडिमाओ काराविया देवउलियासु // एवमइक्वंताणं तह भावीणं जिणाण पडिमाओ / चउवीसा चउवीसा निवेसिया देवउलियासु // इय पयडिय-धय-जसडंचराहिं बाहत्तरीइ जो तुंगो / सप्पुरिसो व कलाहिं अलंकिओ देवकुलियाहि // अन्नवि चउच्चीसा चउवीसाए जिणाण पासाया / कारविया ति-विहार-प्पमुहा अवरे वि इह बहवो // जे उण अन्ने भन्नेसु नगर-गामाइएसु कारविया / तेसिं कुमरविहाराण को वि जाणइ न संखं पि // 15. कु. पा. च. 16

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