Book Title: Kumarpal Charitra Sangraha
Author(s): Muktiprabhsuri
Publisher: Singhi Jain Shastra Shikshapith
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________________ 54,111 25,100 40 विशेषनामानुक्रमणिका पांगदेव 18, 19, 86, 87 | जाङ्गल [देश] चित्रकूटदुर्ग,-कूटनग, 3-6,10,16, 29, | जालंधर [देश] -कूट, गिरि,शैल, 44,47-49,53,54 जांबाक [वणिक] जीर्णप्राकार (जीर्णदुर्ग) [खान] चित्राङ्ग [नृप] 1,6,14,47-49 जैनेन्द्र [व्याकरण] ज्ञानचन्द्र [मुनि] चूडामणि [शान]. ..... चेदि [देश] झोलिकाविहार चैत्रगच्छ चालुक्य . ) [वंश] 16,25,30,32,35,36, | ठाणयपगरण [प्रन्थ ] चोलुक 41, 52, 55, 56, 98-. चौलुक्य J. 100,107,110,114,140 | डाहलदेश चौलुक्यचक्रवर्ती .92 डाहलदेशीय 89 24,100 ho डांगुरिक माम] डांगुरिका 6 [माम] . 3,10,44 131 25,106 डिंडुयाणय [पुर] . .. 2.43 छह [ श्रेष्ठी] छत्तसिला / छत्रशिला छाडक [श्रेष्ठी] जगझंपणु जगड [ श्रेष्ठी] जम्बु केवळी] जम्बुद्दीव [ क्षेत्र] जयकेशी [ नृप] जयचन्द्र [नृप] जयतचन्द्र [नृप] जयता,-क [नृप] जयतिलक [मुनि] जयनाम [ राजकुमार] जयपुर [नगर] जयसिंह जयसिंघदेव प्र जयसिंहदेव जयसिंहमेरु [प्रासांद] जसभर [नृप] जसमित्र असवा [ नृप] तिलंग [ देश] .54,91 तिहुणविहार [चैत्य] .114 121 तिहुयणपाल [नृप] 114 तुम्बवन 139 91,139 तुरुष्क [जाति] 114,140 | त्रिपुरुष [जटाधारी] 38,91 | त्रिपुरुष [प्रासाद] 93,94 | त्रिपुरुषमठ | त्रिभुवनदेव,-पाल [नृप] . 1,9,10,31,33, 91,92 43,55,92 112 | त्रिभुवनपालविहार | त्रिषष्टिचरित 14,50,91 | त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरितr ai 21,57,93 2,9,38,39, 43,91,92 | दक्षिण [देश] 54. 114, 118 दहक [राजकुमार] -7,15,51, दत्त [नृप] 105 115,116 दधिस्थलिक , .. 105 दधिस्थली . [प्राम] 1,9,10,4 // 2,43 दधिस्थलीका ) -

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