Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 11
________________ झील के किनारे पहुँचकर वह जैसे ही छलांग लगाने वाला था कि उसकी नज़र सामने वाली पहाड़ी पर गई जहाँ एक देवी का मंदिर था। उसने देखा कि उस पहाड़ी पर तरह-तरह के लोग देवी के दर्शन के लिए जा रहे हैं और उन्हीं के बीच एक अपाहिज़ व्यक्ति, जिसके दोनों पाँव नहीं हैं, जैसे-तैसे मेहनत करते हुए एक-एक सीढ़ी चढ़ने की कोशिश कर रहा है। वह युवक सोचने लगा – क्या यह अपाहिज़ पहाड़ी मंदिर तक पहुँचने में सफल हो सकेगा? उसने देखा कि वह अपाहिज़ अंततः मंदिर के अंदर तक जाने में सफल हो ही गया। यह देखकर शैलेष के अंदर नई उमंग, नई ऊर्जा, नई शक्ति जाग्रत हो गई। उसे लगा कि जब एक अपाहिज़ व्यक्ति भी मेहनत करता हुआ तो पहाड़ी पर चढ़-उतर सकता है, मैं तो ग्रेजुएट हूँ, मेरे हाथ-पाँव भी सलामत हैं फिर मैं क्या सफल नहीं हो सकता? क्या मैं अपने लिए आजीविका की व्यवस्था और अपने माँ-बाप की आशाओं को पूरा नहीं कर सकता? किसी एक असफलता का मतलब यह नहीं है कि अब पूरा जीवन ही निरर्थक हो गया। शैलेष वापस लौट आया। उसने ज्यूस की दुकान खोल ली। सौ रुपये की जमा पूँजी से उसने अपना व्यापार शुरू किया। आज उसके पास चार मंजिल की बिल्डिंग है और एक बड़ा ज्यूस सेंटर है। किसी के लिए भी जीवन में केरियर की राह चुनना बहुत बड़ी चुनौती है। प्रकृति ने हमें जन्म तो दे दिया है, लेकिन इस जन्म का सार्थक उपयोग करते हुए बेहतर इन्सान बनना केरियर का महत्त्वपूर्ण पड़ाव है। कुदरत ने धरती पर मिट्टी तो दी है, लेकिन उसे आकार देकर दीपक बनाना ही केरियर का निर्माण है। अपनी प्रतिभा और योग्यता को उजागर करते हुए जीवन विकास के रास्ते खोलना केरियर की सही शुरुआत है। समाज में किस तरह जीएँ, किस तरह समाज का नेतृत्व किया जाए, किस प्रकार अपनी आजीविका के संसाधन बटोरते हुए जीवन को 10 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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