Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 99
________________ 1 आख़िर हर सफलता के पीछे असफलताओं की एक पूरी फेहरिस्त हुआ करती है । कोई भी व्यक्ति माँ के पेट से सफल जीवन का मालिक बन कर नहीं आता और न ही कोई व्यक्ति मेहनत का पहला क़दम रखते ही सफलता का स्वाद चखता है। हर सफलता उतना ही आनंद देती है जितना हम उसे मेहनत से प्राप्त करते हैं । हैलिकॉप्टर से एवरेस्ट पर पहुँच कर झंडा लहराने का जो आनंद है उससे सौ गुना ज़्यादा आनंद पैदल एवरेस्ट पर चढ़कर झंडा लहराने में है । जितना श्रम, उतनी सफलता। पिता यदि अमीर है तो हम भी अमीर हैं, पर इसमें खासियत हमारी नहीं, हमारे पुरखों की है । हमारी खासियत तब कहलाएगी जब हम खुद अपने बलबूते पर अमीर बनेंगे। एक अमीर आदमी कभी पैसे की कीमत नहीं समझता पर जो ग़रीबी से अमीर हुआ है वह जानता है कि उसके द्वारा कमाया गया हर पैसा उसके पसीने की एक बूँद है। मैं चाहूँगा कि आप अपने बच्चे को अमीर का बेटा नहीं वरन् खुद अमीर होना सिखाएँ । उसे गमले का पौधा न बनाएँ कि एक दिन भी आप पानी न दे पाए तो वह कुम्हला जाए। उसे जंगल का वह पौधा बनाएँ कि खुद अपने बल पर अपनै दाना-पानी की व्यवस्था कर सके । संयुक्त परिवार की प्रेरणा देने के बावजूद मैं यह बात कहूँगा कि हर पिता अपने बेटे को पाँच वर्ष के लिए अपने से अलग अवश्य करे । उसे किसी गुरुकुल, किसी छात्रावास में अवश्य भेजे ताकि उसे अपनी जिम्मेदारियों का अहसास हो । roP आप केवल अपने बेटे को ही नहीं, अपनी बेटी को भी आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी होने का सुख प्रदान करें। बेटी का विवाह बाद में करें उससे पहले उसे आत्मनिर्भर और स्वावलम्बी होने का रास्ता प्रदान करें। रिश्तों की डोर कब टूट जाए, कब मन में गाँठ पड़ जाए, इसकी कोई भविष्यवाणी नहीं होती। इसलिए बेटी को खुदमुख्तार करना बहुत जरूरी है । हमारा दिया दहेज Jain Education International 98 For Personal & Private Use Only WRONG WAY www.jainelibrary.org

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