Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 107
________________ किसी के प्रति नज़र में बुराई उठकर आई तो इसका कारण बुरी सोच रही । नकारात्मक सोच नकारात्मक कार्यों को अंजाम देती है, सार्थक सोच सार्थक कार्यों को । मेरे पास बैठे हैं संत राधाकृष्णजी। क्या हम समझ सकते हैं कि ये यहाँ क्यों आए ? ज़वाब है : सकारात्मक सोच के कारण। अगर नकारात्मक सोच होती तो व्यक्ति के भीतर अहम् भाव होता और जिसके चलते ये संत यहाँ नहीं आ पाते । सकारात्मक सोच थी । उसी सकारात्मक सोच के चलते निरहंकारिता, निरभिमानता का जीवन में विकास हुआ और उसी के चलते ये संत लोग हमें सुनने के लिए अपने व्यस्त कार्यक्रमों में से भी समय निकाल कर यहाँ पर उपस्थित होते हैं । यह हमारा सौभाग्य है कि हमें बड़े-बड़े संत और प्रबुद्ध लोग भी बड़े प्यार से सुनते और पढ़ते हैं । सोच अगर सकारात्मक है तो संत संत के करीब आता है । सोच अगर नकारात्मक है तो संत तो क्या, सास-बहू भी एक दूसरे से दूर हो जाते हैं । जीवन में सोच का मूल्य है, विचार का मूल्य है । हर विचार व्यक्ति के भविष्य का निर्माता होता है । अपने किसी भी विचार को निस्सार मत समझिए। हमारा प्रत्येक विचार आज नहीं तो कल ज़रूर प्रकट होगा । आज अगर किसी बात को लेकर आपके मन में किसी के प्रति गुस्सा आ गया है तो हो सकता है, आप उसे संकोच या श्रद्धावश प्रकट न कर पाएँ, लेकिन एक मौका, दूसरा मौका, तीसरा मौका आया कि पहले चरण में गुस्से की जो एक तरंग उठी थी, जो एक बीज आपने अपने भीतर बो डाला था, वह तीसरे चरण में निकलकर सामने आ ही जाएगा। गुस्सा पैदा न हो, यह श्रेष्ठ है पर अगर पैदा हो ही जाए तो उसे प्रकट कर दें । भीतर दबा हुआ गुस्सा दमन है और दमन स्प्रिंग की तरह होता है । स्प्रिंग को जितनी दबाएंगे उसकी ताकत उतनी ही ज़्यादा बढ़ेगी। क्रोध भी एक विचार है, अहंकार भी एक विचार है, भोग भी एक विचार है । हमारे भीतर दूषित विचार पैदा ही न हो तो ज़्यादा श्रेष्ठ है पर अगर पैदा हो ही जाए तो I Jain Education International 106 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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