Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 105
________________ . जी को। मेरा अनुरोध है कि आप आत्मविश्वास को अपना हनुमान बनाइए और सकारात्मक सोच को अपना महावीर। आप इन दो ताक़तों के जरिए अपनी प्रत्येक परिस्थिति का सामना कर सकेंगे और उसे अपने अनुकूल भी बना सकेंगे। यों तो दुनिया में हर आदमी सोचता है। कोई भी ऐसा नहीं है, जो सोचता न हो। एक आदमी ठोकर लगने से पहले सोचता है, दूसरा ठोकर लगते वक़्त सोचता है और तीसरा ठोकर लगने के बाद सोचता है पर चौथा आदमी ठोकर खाते हुए देखकर सोचता है, मगर सोचते सब हैं। आदमी सोचता है इसलिए वह आदमी है। मनुष्य में से अगर सोच को निकाल दिया जाए तो मनुष्य मनुष्य नहीं रह पाएगा। सोचना एक बहुत बडी कला है। हम अगर सोचने की कला से वाकिफ़ हो जाते हैं तो हम अपने जीवन के अनावश्यक, आवंछित, व्यर्थ के विचारों से मुक्त हो सकते हैं। अच्छी सोच आदमी के जीवन का स्वर्ग है और बुरी सोच नरक है। अच्छी सोच आदमी के जीवन का सबसे बेहतरीन मित्र है, वहीं बुरी सोच आदमी के जीवन का सबसे बड़ा शत्रु है। आप सोचें... सोच-सोच कर सोचें कि आपके भीतर कौन-सी सोच अच्छी है और कौन सी बुरी। ___ मैंने सुना है : एक पत्नी ने अपने पति से कहा - 'आजकल तो तुम बहुत गड़बड़ी करने लग गए हो। पति ने कहा - 'अरी भागवान, मैं इतना सीधा-साधा आदमी। मैं क्या गड़बड़ी कर सकता हूँ।' पत्नी ने कहा - 'कल रात को मैंने एक सपना देखा कि आप पड़ौसिनों से खूब मिलजुलकर बातें कर रहे थे, खूब हँसी-ठहाके लगा रहे थे।' पति ने कहा - 'मैंने तो ऐसा कुछ भी नहीं किया।' पत्नी बोली - 'मैंने अपने सपने में देखा।' पति ने कहा - 'सपने में देखा, तो वह सपना तो तुम्हारा अपना था। मैंने अपने सपने में थोडे ही देखा।' पत्नी ने कहा - 'अरे, जब मेरे सपने में इतनी गड़बड़ियाँ करते हो तो तुम अपने सपने में 104 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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