Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 39
________________ चार बूंद पानी छिटक दिया जाए तो दूध शांत हो जाता है। वैसे ही अगर अशांति का वातावरण बन जाए तो हम स्वयं को पानी के छींटे की तरह शांत कर लें तो हमारा क्रोध भी शांत हो सकता है। हाँ, जब मैं उस घर में पहुँचा तो मैंने पूछा, और तो सब ठीक है, बस एक सवाल मेरे मन में उठ रहा है - जब मैं यहाँ पहुँचा था तो आप अपने बेटे को सूअर की औलाद कह रहे थे। मेरी बात सुनकर चौंके। मैंने कहा, जनाब! अगर वह सूअर की औलाद है तो आप क्या हैं ?' उस आदमी को काँटो तो खून नहीं। और उस सत्संग का उस व्यक्ति पर यह प्रभाव पड़ा कि वह आज तक कभी क्रोध नहीं करता और गाली नहीं निकालता। उसे समझ आ गया कि जब भी क्रोध आता है तो व्यक्ति कैसे आपा खो बैठता है, नियंत्रण चला जाता है। कंट्रोलिंगकैपेसिटी समाप्त हो जाती है। जिसका स्वयं पर नियंत्रण नहीं वह समिति और गुप्ति का पालन नहीं कर सकता और जो समिति और गुप्ति का पालन न कर पाए वह धार्मिक कैसे हो सकता है। एक पति-पत्नी में झगड़ा हो गया। पति ऑफिस चला गया। दिन बीता, शाम होने आई तो सोचा बेकार ही पत्नी से झगड़ा किया, चलो अब उससे बात कर लेता है। यह सोचकर घर पर फोन लगाया। उसने कहा - हैलो, आज शाम को खाने में क्या बना रही हो? पत्नी तो अभी भी गुस्से में भरी हुई थी बोली - राख! पति ने कहा - आधी ही बनाना शाम को मैं बाहर खाने जा रहा हूँ। __ क्रोध में व्यक्ति होश खो बैठता है। दूसरा दुष्प्रभाव यह है कि - व्यक्ति का स्वास्थ्य बिगड़ता है। तनाव, चिंता अवसाद। ये सब क्रोध के दुष्परिणाम हैं। यदि आपको ब्लड प्रेशर है तो सावधान हो जाएँ। कभी क्रोध न करें, नहीं तो आपको कभी भी हार्ट अटैक हो सकता है। क्रोध करने से आपका ब्लड प्रेशर असंतुलित हो सकता है। कब्ज रह सकती है, स्मरणशक्ति कमजोर हो सकती है। बच्चों, सावधान हो जाओ। अधिक गुस्सा करोगे तो अपनी स्मरण-शक्ति और मानसिक एकाग्रता खो बैठोगे। क्रोध में बनाया गया भोजन भी जहर का काम करता है? इसलिये यह विवेक रखें कि जब आप गुस्से में हों तब न खाना बनाएँ और न ही खाएँ और न ही खिलाएँ। विज्ञान यह सिद्ध ATTENTION! No angry 38 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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