Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 83
________________ मनुष्य का मस्तिष्क एक सुपर कम्प्यूटर है। दुनिया के सारे कम्प्यूटरों को ईज़ाद करने वाला मनुष्य का विकसित मस्तिष्क ही है । आज यदि सबके हाथों में मोबाइल है, सबकी आँखों में टीवी है, चलने के लिए वाहन और उड़ने के लिए हवाई जहाज हैं, तो इन सबके पीछे अगर किसी दैवीय शक्ति का हाथ है, तो वह हमारा यह अनोखा अनूठा मस्तिष्क ही है । हमारा यह मस्तिष्क मज़बूत खोपड़ी के घर में रहता है। इसका आकार अखरोट के भीतर निकलने वाली गिरी जैसा होता है। हम मशरूम के साथ भी इसके आकार की तुलना कर सकते हैं । मस्तिष्क से शरीर में इतने कनेक्शन आते हैं कि विश्व की सारी टेलीफोन लाइनें भी उसके सामने कम हैं। हमारे 35 वर्ष की आयु तक मस्तिष्क के विकास की संभावना बनी हुई रहती है। इसके बाद मस्तिष्क की क्षमता में धीरे-धीरे कटौती होने लग जाती है । यदि मस्तिष्क की पौष्टिकता और स्वस्थता पर ध्यान दिया जाए तो मस्तिष्क बुढ़ापे में भी पूरी तरह सकारात्मक और रचनात्मक काम करता रहता है। अगर हम दिमाग़ी तौर पर लापरवाही बरतेंगे तो इंसान के बुढ़ापे के साथ ही मस्तिष्क की क्षमता भी कमजोर पड़ती जाएगी है । जीवन को बनाए रखने के लिए हृदय की भूमिका जबरदस्त है, पर जीवन को चलाने के लिए मस्तिष्क सबका मालिक है। हमारे मस्तिष्क से ही हमारी आँखें देखती है, कान सुनते हैं, नाक सूंघती है, जबान चखती और बोलती है। शरीर के सुख-दुःख, शांति - उत्तेजना अथवा हर तरह की संवेदना को ग्रहण करने वाला भी हमारा यह मस्तिष्क ही है । मस्तिष्क को ही दूसरे शब्दों में दिमाग़ कहते है | विचार, विकल्प और कल्पना करने वाला हमारा मन इसी मस्तिष्क का एक हिस्सा है। दिमाग का निचला हिस्सा मनुष्य का मन कहलाता है । दिमाग़ का मध्य हिस्सा बुद्धि कहलाता है, जो कि स्मृति, ज्ञान और विवेक से अपना नाता रखता है । जिसे हम चित्त कहते हैं वह वास्तव में मन का छिपा हुआ सघन रूप है । चित्त के सक्रिय होने पर वह मन के रूप में प्रकट होता है और मन के शांत होने पर चित्त से हमारी मुलाकात होती है । जिसे मनोविज्ञान कॉनसियस माइंड कहता है वह वास्तव में हमारा चेतन मन है और I Jain Education International 82 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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