Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 89
________________ नहीं है कि इधर खाई और उधर ताकत आई। विकास के लिए खुद को लगाना पड़ता है । स्वयं के मानसिक विकास और बौद्धिक प्रतिभा को उजागर करने के लिए खुद को खपना पड़ता है। हमारी दृढ़ इच्छाशक्ति लगनशीलता और सृजनशीलता ही विकास के द्वार खोल सकती हैं। लोग मेरे पास आते हैं और पूछते है कि दिमागी विकास के लिए कौनसी गोली ली जानी चाहिए। दरअसल लोग करना धरना कुछ चाहते नहीं फल ऊँचे से ऊँचा पाना चाहते हैं। इसे आप यों समझिए। ____ एक महिला किसी सौंदर्य विशेषज्ञ के पास पहुँची। उसने कहा आप मेरा चेहरा बड़ा सुंदर बना दीजिए पर ऐसा करने की फीस कितनी होगी। सौंदर्य विशेषज्ञ ने जवाब दिया - पाँच हजार रुपये। महिला ने कहा - कोई सस्ता नुस्खा नहीं है क्या? डॉक्टर ने जवाब दिया - है। आप धुंघट निकालना शुरू कर दीजिए। अगर कुछ पाना है तो हमें कुछ न कुछ करना होगा। अगर मानसिक विकास भी करना है तो हमें अपने आपके प्रति गंभीर और रुचिशील होना होगा। आप अच्छी शिक्षा लीजिए, मन लगाकर एकाग्रता से पढ़ाई कीजिए। स्वयं को अर्जुन की आँख बना लीजिए। अच्छा और बेहतर चिंतन कीजिए। विपरीत वातावरण में भी धीरज रखिए और तनावमुक्त रहिए। यही वे बेशकिमती उपहार है जो कि हमारी मानसिक क्षमता को उत्तरोतर बढ़ाते हैं । मैं कुछ और बिन्दु भी निवेदन कर देता हूँ। पहला उपाय : पौष्टिक भोजन लीजिए। कहावत है-तन सुखी तो मन सुखी। शरीर अगर स्वस्थ, प्रमादरहित, तनावमुक्त और जीवन-ऊर्जा से भरपूर है तो हमारे दिमाग़ की कार्यक्षमता स्वतः ही स्वस्थ और बेहतर रहेगी। मस्तिष्क की स्वस्थता शरीर की स्वस्थता पर टिकी है और शरीर की स्वस्थता मस्तिष्क की स्वस्थता पर । शरीर और मस्तिष्क दोनों वृक्ष की जड़ और तने की तरह दोनों एक दूसरे से जुड़े हुए है। इसलिए हमें मस्तिष्क की स्वस्थता के लिए शरीर की स्वस्थता और पौष्टिकता पर भी ध्यान 88 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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