Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 80
________________ कहने के लिए कोई हार्वर्ड युनिवर्सिटी से एम.बी.ए. पास करने की जरूरत नहीं होती।इसके लिए तो आपको विनम्रता के विश्वविद्यालय में दाखिला लेना होगा। बस फिर तो ये अनायास ही आपके होंठों पर आते रहेंगे।आपने अपनी जिंदगी में अब तक दस लाख दफा 'मैं' शब्द का प्रयोग किया होगा, पर ज़रा याद कीजिए कि आपने अपने होंठों से क्या एक हजार दफा भी 'शुक्रिया' कहा है ? जिस शब्द के इस्तेमाल में हमें कंजूस होना चाहिए थाउसके प्रति तो हमदरियादिली अपनाते हैं और जिस शब्द के प्रयोग के लिए हमें पूरी उदारता बरतनी चाहिए थी उसके लिए हम मक्खीचूस होबैठे हैं। __ कृपया शुक्रिया अदा कीजिए माता-पिता के प्रति जिन्होंने हमें जन्म दिया है। शुक्रिया अदा कीजिए अपने बड़े भाई और बहन के प्रति जिनकी बांहों में हमारा पालन हुआ है ।शुक्रिया अदा कीजिए अपनी धर्मपत्नी के प्रति जिसके प्रेम और समर्पण की छाँव में हमें जीवन का सुकून मिला है और शुक्रिया अदा कीजिए उन ग्राहकों और कर्मचारियों के प्रति जिनकी बदौलत हमारे पास दौलत हुई है। पाँचवाँ अनुरोध : जब भी बोलें, तो ध्यान रखें धीमे बोले और धीरज से बोलें । धीमी आवाज़ कोयल की मिठास देती है और तेज आवाज़ गधे का फूहड़पन। जो लोग ज्यादा बोलते हैं, बड़बोलेपन के आदी हैं, उनके लिए अकसर पीठ पीछे यही टिप्पणी सुनने को मिलती है : एकमाथाखाऊ आ गया। धीरज रखने के लिए मैं इसलिए सलाह दे रहा हूँ क्योंकि विपरीत वातावरण बन जाने पर यही आपका संकटमोचक बनता है। तुलसीदासजी की चौपाई सदा याद रखने के काबिल है : 'धीरज धरम मित्र अरू नारी, आपत काल परखिए चारी।' मेरी इस बात को अपने दिलो दिमाग पर उकेर लीजिए कि जो बात आपने तैश में आकर कही है काश वही बात आप प्रेम से कह देते तो इसमें आपका क्या बिगड़ जाता। न दो दिल टूटते और न ही इस तरह पछताना पड़ता। छठा अनुरोध : जब भी बोलें, संक्षिप्त वाणी ही बोलें। मंत्रों का आखिर इसीलिए महत्व होता है क्योंकि 79 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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