Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 66
________________ न हो पर आप किसी ज़रूरतमंद मरीज़ को एक कप चाय तो लाकर पिला सकते हैं। उसके बिस्तर और तकिये की खोली तो बदल सकते हैं। और कुछ नहीं तो किसी मरीज़ के पास बैठकर कोई अच्छी सी किताब या अखबार तो पढ़कर सुना सकते हैं। स्वयं को व्यस्त रखने के हजार तरीक़े हैं। जो आपको सुटेबल हो आप उसका चयन कर लीजिए, बस काम ऐसा हो जो आपके मन को सुकून दे । जिसका परिणाम सकारात्मक और पुण्यमयी हो । अपने से ही जुड़े हुए एक अच्छे महानुभाव हैं - श्री आसुलाल जी वडेरा । बड़े मस्त आदमी हैं । उम्र होगी क़रीब अस्सी से पिचयासी वर्ष के बीच । पता है काम क्या करते हैं ? सुबह दस बजे अपनी कार लेकर निकल जाते हैं अपने परीचितों और मित्रों के पास | उन्हें समझाते हैं, उनसे सहयोग लेते हैं और गौशालाओं में घास भिजवा देते हैं या हॉस्पिटल में आने वाले मरीज़ों के लिए भोजन की व्यवस्था करते हैं । आप भी ऐसा कार्य चूज कर सकते हैं । करके देखिए तो सही आपको कितना मज़ा आएगा। जब मैंने हॉस्पिटल में इसी तरह की सेवा करने वाले एक महानुभाव से कहा कि आप सचमुच महान हैं तो उन्होंने मुस्कुराते हुए मुझे जवाब दिया, नाना मैं महान वगैरह कुछ नहीं हूँ। मैं तो बस टाइम पास कर रहा हूँ। सच कहूँ तो मैं अपने खाली दिमाग़ को शैतान का घर बनने से रोक रहा हूँ । मेरे अपने आदरणीय भाईसाहब हैं - - प्रकाश जी । बड़े गज़ब के आदमी हैं । अद्भुत कर्मयोगी हैं। अपने आप में एक चलता फिरता मैनेजमेंट हैं । दस एमबीए वालों का काम अकेले निपटा लेते हैं । काया पचपन वर्ष की हो गई मगर सक्रियता दस जवानों से ज्यादा है। उनकी पत्नी जी और उनकी बेटी का Jain Education International 65 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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