Book Title: Kaise Banaye Aapna Career
Author(s): Chandraprabhsagar
Publisher: Jityasha Foundation

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Page 63
________________ I बुद्धि को सही सकारात्मक दिशा प्रदान करें हम अपने दिमाग़ को खाली न रहने दें। दिमाग़ को शैतान का घर न बनने दें। नेगेटिविटी हम पर हावी हों, नकारात्मकता आपको खा जाए, उससे पहले दिमाग़ को सक्रिय कीजिए और अपने दिमाग़ को सकारात्मक मोड़ दीजिए। अपने दिमाग़ को काम में लगाइये । अपने जीवन में व्यस्त रहने की आदत डालिए। दिमाग़ हमेशा आलतू-फालतू सोचता रहता है । धैयपूर्वक आप अपने दिमाग को समझिये और देखिए कि वह क्या चीज है जिसे दिमाग़ में रखा जाना चाहिए और वह कौनसा कचरा है जिसे दिमाग़ के घर में से झाड़-पौंछ कर बाहर निकाल देना चाहिए । मेरे दिमाग को मैं ठीक करूँगा, आपके दिमाग को आप । मुझे सुधारने की ज़वाबदारी मुझ पर है और आपको सुधारने की जवाबदारी आप पर है। मेरे द्वारा आपको सम्बोधित करने के पीछे मेरा उद्देश्य आपको सुधारना नहीं है वरन् स्वयं प्रति स्वयं का ध्यान आकर्षित करना है । आखिर आदमी अपने जीवन में वही करेगा जैसी उसको उसके दिमाग़ की प्रेरणा होगी। दिमाग अगर दुरुस्त है तो जिन्दगी दुरुस्त है । दिमाग़ अगर गड़बड़ है तो सारी ज़िन्दगी ही गड़बड़ है । 1 ध्यान रखिये आपको मैं नहीं सुधारूँगा । व्यक्ति स्वयं ही स्वयं को सुधारता है। आत्म-सुधार ही प्रभावी होता है। प्रेरित सुधार कभी भी शिथिल हो सकता है पर अपने स्वयं के द्वारा होने वाला सुधार पहाड़ की तरह मजबूत होता है । दिमाग़ सदा सक्रिय, सचेतन और सकारात्मक रहे इसके लिए मेरा पहला फार्मुला है: अपने को व्यस्त रखिए, हर हाल में मस्त रहिए । स्वयं को व्यस्त रखना दिमाग़ को शैतान का घर न बनने देने का सबसे अच्छा तरीक़ा है । खाली बैठा दिमाग़ शेख चिल्ली न बनेगा तो और क्या करेगा । अगड़म - बगड़मबम्बे - बो, अस्सी नब्बे पूरे सौ । आलतू फालतू की सोचता रहेगा। होना-जाना उससे कुछ न होगा। उससे मोटी बातें भले ही ठुकवा लो, पर करने के नाम पर Jain Education International 62 For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org

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