Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 33
________________ दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत् “कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[४०] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित...... कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [४०] णिजरूवं ८॥४०॥तओ पुणो जच्चकंचणुजलंतरूवं,निम्मलजलपुण्णमुत्तमं दिप्पमाणसोहं कमलकलावपरिरायमाणं पडिपुण्णसवमंगलभेयसमागमं पवररयणपरायंतकमलट्ठियं नयणभूसणकरं पभासमाणं सवओ चेव दीवयंतं, सोमलच्छीनिभेलणं, सवपावपरिवजिअं सुभं भासुरं सिरिवरं सवोउयसुरभिकुसुमआसत्तमल्लदामं,पिच्छइ सा रययपुण्णकलसं,९ ॥४॥ तओ पुणो पुणरवि रविकिरणतरुणबोहियसहस्सपत्तसुरभितरपिंजरजलं जलचरपहकरपरिहत्थगमच्छपरिभुज्जमाणजलसंचयं महंतं ,जलंतमिव कमलकुवलयउप्पलतामरसपुंडरीयउरुसप्पमाणसिरिसमुदएणं रमणिजरूवसोहं, पमुइयंतभमरगणमत्तमहुयरिंगणुक्करोलि(ल्लिं)जमाणकमलं २५०कायंबगवलाहयचक्ककलहंससारसगविअसउणगणमिहुणसेविजमाणसलिलं पउमिणिपत्तोवलग्गजलबिंदुनिचयचित्तं पिच्छइ सा हिययनयणकंतं पउ १ नेदम् क ०० दीप अनुक्रम [४२] ~ 32 ~

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