Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) ........... मूलं- सूत्र.[३१] / गाथा.||-|| ....... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
कल्प० ॥१२॥
प्रत सूत्रांक/
%
गाथांक
[३१]
वग्धारियबुट्ठिकायंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्खमित्तए वा पविसित्तए हैं। वा, कप्पइ से अप्पवुट्टिकायंसि संतरुत्तरंसि गाहावइकुलं भत्ताए वा पाणाए वा निक्ख-* है मित्तए वा पविसित्तए वा ॥३१॥ (ग्रं० ११००) वासावासं पज्जोसविअस्स निग्गंथस्स निग्गंथीए वा गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए । निवइजा, कप्पइ से अहे आरामंसि वा, अहे उवस्सयंसि वा अहे वियडगिहंसि वा अहे । रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए ॥३२॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते चाउलोदणे पच्छा-2 उत्ते भिलिंगसूवे, कप्पइ से चाउलोदणे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ भिलिंगसूवे पडि-३ गाहित्तए ॥३३॥ तत्थ से पुवागमणेणं पुवाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसवे पडिगाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिगाहित्तए ॥३४॥ तत्थ से पुवागमणेणं दोवि पुवाउत्ताई कप्पंति से दोवि पडिगाहित्तए । तत्थ से पुवागमणेणं ।।.
दीप
अनुक्रम [२९८]
॥६२॥
... अत्र बारसा-सूत्रस्य ११०० श्लोकाणि समाप्तानि
~ 129~
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